Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 143
________________ अर्थ :- अथवा पिता शुं करे छे ते जोउं ? आनावड़े मारे शुं ? पाणीने जोया वगर पगमांथी जोडा काठी नांखवा ठीक नथी. हिन्दी अनुवाद :- अथवा तो पिताजी क्या करते हैं वह देखूँ ? इनसे मुझे क्या ? पानी को देखे बिना ही पैर से जूते निकालना ठीक नहीं है। गाहा : छाया : अथ राजा मम उपरि दिने दिने प्रियतमया जातः शीथिल - स्नेहः कर्ण-विषं यत् महत् अर्थ : हवे राजा मारा उपर दिवसे दिवसे प्रियतमाना कहेवाथी शिथिल1. स्नेहवाळा थया छे कारण के कर्ण विष महा विष छे. अह राया मह उवरिं दिणे दिणे पिययमाए भन्नं तो । जाओ सिढिल - सिणेहो कन्न- विसं महंत विसं ॥१९१॥ जं छाया : हिन्दी अनुवाद :- अब राजा प्रियतमा के कहने से दिन-प्रतिदिन अल्प-स्नेहवाले होते जा रहे हैं। कर्ण क्षि महा भयंकर विष है। गाहा : छाया : सहसत्ति अन्न - दियहे किंपि मिसं दाविऊण मह रन्ना । दिन्नं लहू खेडयं हरियं गाम - सहस्सं भणतः । विषम् ||१९१|| सहसेति अन्य-दिवसे किमपि छलं दापयित्वा मह्यम् हृतं ग्राम सहस्त्र दत्तं लघु-खेटकं अर्थ :- सहसा एक दिवस राजा वड़े कोइ पण बहानुं बताडीने हजार गाम लई लेवाया अने एक नानकडु गाम अपायु. हिन्दी अनुवाद :- अचानक एक दिन राजा द्वारा कुछ भी बहाना निकाल कर हजार गाँव ले लिये गये और एक छोटा सा गाँव दिया गया। गाहा : Jain Education International एक्कं ।।१९२।। संजाय - अमरिसेणं ताहे मए चिंतियं दुरायारं । मारेऊणं एयं रज्जमहिट्ठेमि, किं 38 राज्ञा । एकम् ||१९२|| संजात- अमर्षेण ततः मया चिन्तितं दुराचारम् । मारयित्वा एतं राज्यं अधितिष्ठामि किं बहुना ? ।।१९३ || अर्थ :- उत्पन्न थयेला अमर्श वाळा मारावडे दुराचारी विचारायु के पिताने मारीने आ राज्यनो हुं अधिष्ठाता थउं, घणावड़े शुं ? हिन्दी अनुवाद संजात अमर्श से मैंने दुराचार का चिन्तन किया । इस राज्य का मैं ही स्वामी बहुत गाँवों से क्या ? : For Private & Personal Use Only बहुणा ? ।।१९३ ॥ www.jainelibrary.org

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