Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 141
________________ अर्थ :- आ प्रमाणे देवी ना वचन सांभळीने प्रत्युत्तर आप्यावगर राजा त्यांथी उठीने सभामंडपमा जईने बेठा. हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार देवी के वचन को सुनकर प्रत्युत्तर दिये बिना राजा वहाँ से उठकर सभामंडप में जा बैठा। गाहा:_एयं च देवी-वयणं सूहविया-नामियाए चेडीए। पच्छन्ने सोऊणं सव्वं धणदेव ! मह सिटुं ॥१८४॥ छाया: एवं च देवी-वचनं सुभगिका-नाम्ना चेट्या । प्रच्छन्ने श्रुत्वा सर्वं धनदेव ! मह्यम् शिष्टम् ।।१८४।। अर्थ :- आ प्रमाणे देवीना वचन सांभळीने सुभगिका नामनी दासीवड़े प्रच्छन्न रीते हे ! धनदेव ! मने बधु कहेवायु. हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार देवी के वचन सुनकर हे धनदेव ! सुभगिका नाम की दासी द्वारा गुप्तता से मुझे सब कहा गया। सुप्रतिष्ठनुं शुभाशुभ चिंतन गाहा : तं सोउं मह विगप्पो चित्ते एयारिसो समुप्पन्नो। किं कणगवईए वुत्तो करेज्ज एवं पिया मज्झ? ॥१८५।। छाया : तं श्रुत्वा मह्यम् विकल्पः चित्ते एतादृशः समुत्पन्नः । किं कनकवत्या उक्तः कुर्यात् एवं पित्रा मम ? ||१८५।। अर्थ :- ते सांभळीने मारा चित्तमां विकल्प उत्पन्न थयो - शुं मारा पितावड़े, कनकवतीवड़े कहेवायेलु कराशे ? हिन्दी अनुवाद :- वह सुनकर मेरे चित्त में विकल्प उत्पन्न हुए - क्या मेरे पिताजी कनकवती की बात का स्वीकार करेंगे? गाहा :- अहवा। न गणंति पुव-जेहं न य नीई नेय लोय-अववार्य । न य भावि-आवयाओ पुरिसा महिलाण आयत्ता ॥१८६।। छाया: न गणयंति पूर्व-स्नेहं न च नीतिं न च लोकापवादं । न च भावि आपदः पुरुषाः महिलानां आयत्ता ।।१८६।। अर्थ :- महिला ने आधीन पुरुषो पूर्वना स्नेहने गणता नथी नीतिने गणता नथी लोक अपवादने तथा भाविमा थनारी आपत्तिने पण गणता नथी. हिन्दी अनुवाद :- महिला के आधीन पुरुष पूर्व के स्नेह को याद नहीं करते, नीति एवं लोकोपवाद से डरते नहीं हैं तथा भावी आपत्ति को भी देखते नहीं हैं। 36 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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