Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 120
________________ प्रकार उनके वचन सुनकर सहसा दृष्टि द्वारा राणी को पूछकर खड़ा हुआ राजा जितनी देर में सभामण्डप में आया, उतनी देर में अचानक बिजली का प्रचण्ड गड़गड़ शब्द होने लगा। बादलों की ऐसी गर्जना से नर-नारी का समूह डरने लगा। गाहा : छाया : गाहा : छाया : तयणंतरं च देवी - गिहम्मि - तदनन्तरं च महत् - हा रव संमीश्रं समुत्थितं शब्दम् । देवी - गृहे श्रुत्वा सहसा वलितो महि-नाथः ।। १११।। अर्थ :- त्यारपछी हा-हा-रव ना मोटा शब्दने सांभळीने राजा सहसा ऊठयो अने देवी भवननां पाछो फर्यो. तत्पश्चात् हा-हा-रव के बड़े शब्द को सुनकर राजा सहसा उठा और देवी हिन्दी अनुवाद :भवन में पुनः गया। विद्युत द्वारा राणीने दाह वज्जरइ देवी-धावी रुयमाणी घग्घरेण नर-वर ! मुट्ठा मुट्ठा देवी विज्जूए गाहा : छाया : महा-हा-रव-संमीसं सहसा सोउं कथयति देवि धात्री रुदन्ती घर्घरेण नर- वर ! मुष्टा मुष्टा देवी विद्युता दग्धा इति ।। ११२ ।। अर्थ :- गद्दगद्द अवाजवड़े रड़ती देवीनी दासी कहे छे. हे नरवर ! अनर्थ थई गयो, अनर्थ थई गयो. विजळी पळवाथी देवी सळगी गया छे. हिन्दी अनुवाद :- गद्गदित आवाज से रोती हुई देवी की दासी कहती है, हे नरवर ! अनर्थ हो गया। अनर्थ हो गया। बिजली गिरने से देवी जल गयी है। राजानो शोक-विलाप Jain Education International समुट्ठियं सद्दं । वलिओ मही-नाहो ।। १११ ।। - सद्देण । दद्धत्ति ।। ११२ ।। दट्ठूण भूमि- पडियं देवी-देहं जिएण परिचत्तं । हा ! हा ! हत्ति भणतो राया मुच्छा-वसं 10 शब्देन । दृष्ट्वा भूमिपतितं देवि देहं जीवेन हा ! हा! हा ! इति भणन् राजा मूर्च्छा वसं प्राप्तः । ।११३।। अर्थ :- प्राणथी रहित भूमि पर पडेला देवीना देहने जोईने हा ! हा ! हा ! ए प्रमाणे बोलतो राजा मूर्च्छित थयो. हिन्दी अनुवाद :भूमि पर गिरे हुये निश्चेष्टित देवी के देह को देखकर हा ! हा ! हा ! इस प्रकार बोलता हुआ राजा मूर्च्छित हो गया। 15 For Private & Personal Use Only पत्तो ॥११३॥ परित्यक्तम् । www.jainelibrary.org

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