Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 132
________________ दूत द्वारा वृत्तांत कथन गाहा: चंपाए पुर-वरीए सुपसिद्धो चेव देव-पायाणं । वित्थारिय-विमल-कित्ती राया सिरि-कित्तिधम्मोऽत्थि ॥१५२।। छाया: चम्पायां पुरवर्यां सुप्रसिद्धश्चैव देव-पादानाम् । विस्तारित - विमल - कीर्ति राजा श्री-कीर्तिधर्मोऽस्ति ।।१५२|| अर्थ :- नगरीओ मां श्रेष्ठ चम्पापुरीमा विस्तरित विमल कीर्त्तिवाळो कीर्तिधर्म नामनो राजा छे. हिन्दी अनुवाद :- श्रेष्ठ चंपापुरी में फैली हुई निर्मल कीर्तिवाला कीर्त्तिधर्म नाम का राजा है। गाहा : निज्जिय-सुरिंद-सुंदरि रूवातिसया समत्थ-महिलाण । अब्भहिया से देवी कित्तिमई लोय-विक्खाया ॥१५३।। छाया: निर्जित-सुरेन्द्र-सुन्दरि-रूपातिशया समस्त महिलानाम् | अभ्यधिका तस्य देवी कीर्तिमती लोक-विख्याता ||१५३।। अर्थ :- जित्या छे देवांगना ओना रूप तथा समस्त स्त्रीओमां रूपातिशयवाळी लोकमां विख्यात ते राजाने कीर्तिमती नामनी देवी छे. हिन्दी अनुवाद :- देवाङ्गनाओं के रूप को भी तिरस्कृत करनेवाली तथा सम्पूर्ण स्त्रियों में अतिशय रूपवान् लोक में प्रख्यात कीर्तिमती नाम की देवी है। राजपुत्री कनकवती गाहा : तीय धूया सोहग्ग-रूव-विण्णाण गारवग्घविया । पायाल-कन्नय-समा कणयवई नाम वर-कन्ना ॥१५४।। छाया: तस्या दुहिता सौभाग्य-रूप-विज्ञान-गौरवान्विता । पाताल-कन्या-समा कनकवती नामा वर-कन्या ।।१५४।। अर्थ :- तेणीनी पुत्री सौभाग्यादि रूप अने विज्ञानथी गौरववाली पाताल कन्या जेवी कनकवती नामनी श्रेष्ठ कन्या छे. हिन्दी अनुवाद :- उन्हें सौभाग्यादि रूप सम्पत्ति से शोभित पाताल कन्या जैसी कन्याओं में श्रेष्ठ कनकवती नाम की पुत्री हैं। गाहा : संपत्त-जोव्वणा सा आभरण-विभूसिया पिउ-सयासे । पट्टविया माऊए तदुचिय-वर-दाण-अट्ठाए ॥१५५।। 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162