Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 125
________________ अर्थ :- त्यारपछी राजा कहे छे, “चन्दनना लाकड़ा धणा-बधा (बमणा) मंगावो. जेथी देवीनी साथे हुँ पण अग्नि प्रवेश करीश." हिन्दी अनुवाद :- फिर राजा कहता है - "चन्दन की बहुत सी लकड़ियाँ लाओ। जिससे देवी के साथ मैं भी अग्नि में प्रवेश करूंगा।" गाहा : तो भणइ सुमइ-मंती कायर-जण चेट्ठिएण किं इमिणा । मरणऽज्झवसाएणं अवलंबसु धीर! धीरत्तं ॥१२८॥ छाया : ततो भणति सुमती-मन्त्री कातर-जन चेष्टितेन किं अनेन । मरणाऽऽध्यवसायेन अवलम्बस्व धीर ! धीरत्वं ।।१२८।। अर्थ :- त्यारे मन्त्री कहे छे. कायरजनने उचित मरणना अध्यवसायरूप आ चेष्टावड़े सर्यु ! अने हवे धीर ! धीरपणा, आलंबन धारण करो. हिन्दी अनुवाद :- तब मन्त्री कहता है कायरों के समान मृत्यु के अध्यवसाय रूप इस चेष्टा से क्या? और आप धीरत्व को धारण करो। गाहा : मरणेण तुझ नर-वर ! देसो सव्वोवि होइ जं गम्मो । पडिवक्ख नर-वराणं बालो तह सुपइट्ठोत्ति ॥१२९।। छाया: मरणेन तव नर-वर ! देशो सर्वोऽपि भवति यत गम्यः । प्रतिपक्ष - नरवराणां बालस्तथा सुप्रतिष्ठ इति ।।१२९।। अर्थ :- वळी हे नरवर ! आपना मरणथी सर्वे शत्रु राजाओ आपणां देश पर आक्रमण करशे. वळी आ सुप्रतिष्ठ बाल छे, ते विचारवा योग्य छे. हिन्दी अनुवाद :- पुनः हे नरवर ! आपकी मृत्यु से सभी शत्रु राजा अपने देश पर आक्रमण (युद्ध) करेंगे और यह सुप्रतिष्ठ कुमार अभी बालक है। वह शोचनीय है। गाहा : देवाण बंभणाण य लिंगीणं तह पागय-जणस्स । धम्म किरियाओ सव्वा वहंति देवे धरतम्मि ॥१३०॥ छाया : देवानां ब्राह्मणानां च लिङ्गीनां तथा प्राकृत-जनस्य । धर्म-क्रियाः सर्वान् ! (सर्वे) वहन्ति देवे धरन्ते ।।१३०।। अर्थ :- हे देव ! आप होते छते देवोनी, ब्राह्मणोनी, लिङ्गीओनी तथा प्राकृत जननी सर्व धर्म क्रिया सर्वे वहन करे छे. हिन्दी अनुवाद :- पुनः हे देव ! आप रहने पर देवों की, ब्राह्मणों की, लिङ्गिओं की तथा प्राकृत-जनों की सर्व-धर्म-क्रिया सब वहन करते हैं। 20 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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