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गाहा :
छाया :
गाहा :
नित्यं प्रमुदित नर नारि पूर्ण ग्रामावलीकया रमणीयः । नाम्ना देशोऽस्ति ||६७ ।।
बहु दिवस वर्णनीयाङ्ग
अर्थ :- हमेशा आनंदित नर-नारीओथी युक्त-ग्रामनी श्रेणीओ वड़े मनोहर, दिवसोना दिवसो वड़े वर्णन करी शकाय तेवो अंग नामनो देश छे. हिन्दी अनुवाद :- प्रतिदिन आनंदित नर-नारियों से युक्त ग्राम की श्रेणियों से मनोहर, अंग नाम का देश है।
सिद्धार्थ नगरनी शोभा
छाया :
अंग देश वर्णन
निच्चं पमुइय- नर-नारि - पुन्न - गामावलीए बहु-दिवस वन्नणिज्जो अंगा नामेण
गाहा :
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छाया :
प्रवरं
तस्मिंश्च पुरं पुराणां भय डमर कर विमुक्तं सिद्धार्थपुरमिति विख्यातम् ।। ६८ ।।
सुरनगरसदृश ऋद्धिमत् ।
अर्थ :- अंगदेशमां अमरावती जेवुं ऋद्धिमान, दरेक नगरोमां श्रेष्ठ- स्वपर चक्रना भय तथा कर वेराथी रहित नगरोमा प्रख्यात सिद्धार्थपुर नामनुं नगर छे.
तम्मिय पुरं पुराणं पवरं सुर-नयर - सरिस - रिद्धिल्लं । भय- डमर-कर - विमुक्कं सिद्धत्थपुरंति विक्खायं ||६८ ॥
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हिन्दी अनुवाद :- इस अंगदेश में अमरावती जैसा ऋद्धिमान्, सर्व नगरों में श्रेष्ठ, स्वः पर चक्र के भय तथा कर से रहित प्रख्यात सिद्धार्थपुर नाम का नगर है।
सुग्रीव राजा
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रमणीओ । देसोऽत्थि ।।६७ ।।
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तम्मि य मयंध - रिउ - करडि करड-निभेयणम्मि पत्तट्टो | कंबुन्नय-सुग्गीवो
सुग्गीवो
नाम
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नामा
नर-नाथः ||६९||
तस्मिंश्च मदांध - रिपु- करटी करट निर्भेदने प्राप्तार्थः । कम्बून्नत सुग्रीवः सुग्रीव अर्थ :- ते सिद्धार्थपुरनगरमां मदोन्मत्त शत्रुरूप हाथीना गंडस्थळनो नाश करवामां समर्थ, शंख समान उन्नत श्रेष्ठ ग्रीवावाळो 'सुग्रीव' नामनो राजा छे. हिन्दी अनुवाद :- उस सिद्धार्थपुर नगर में मदोन्मत्त शत्रुतुल्य हाथी के गंडस्थल का नाश करने में समर्थ, शंख के समान उन्नत ग्रीवावाला "सुग्रीव" नामक राजा है।
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नर - नाहो ।। ६९ ।।
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