Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 109
________________ गाहा : छाया : गाहा : छाया : सुग्रीव प्रियतमा राणी कमला सयलोरोह- पहाणा बुद्धीए अणन्न- समा सकलावरोध- प्रधाना सुन्दर शरदिन्दु - बिम्ब- सम-वदना । नाम्नी तस्य देवी ||७० ।। कमला बुद्धया अनन्य - समा अर्थ :- समस्त अंतःपुरमा मुख्य, सुन्दर, शरदऋतुना चन्द्रमां जेवा मुखवाळी, अनुपम बुद्धिवाळी, कमला नामे तेनी राणी हती. हिन्दी अनुवाद :- समस्त अंतःपुर में मुख्य, सुन्दर, शरदऋतु के चन्द्रमा जैसी मुखवाली अनुपम बुद्धिवाली कमला नाम की उसकी रानी थी। पुत्र सुप्रतिष्ठ जन्म एवं लालन-पालन छाया : सुंदर-सरदिंदु-बिम्ब- सम-वयणा । कमला नामेण से तीए सह विसय- सोक्खं अणुहवमाणस्स तह य रज्ज-धुरं । पुव्व-भव पुन्न पायव- समप्पियं पालयंतस्स ।। ७१ ।। वच्चंतेसु दिणेसुं तीए देवीए अह अहं पुतो । जाओ कयं च नामं विहिणा मह सुप्पट्ठोत्ति ।। ७२ ।। तया सह विषय - सौख्यमनुभवमानस्य तथा च राज्य-धुरम् । पूर्व भव पुन्य पादप समर्पितं पालयतः ।।७१।। गच्छत्सु दिनेषु तस्याः देव्याः अथाहं पुत्रः । जातः कृतं च नाम विधिना मम सुप्रतिष्ठ इति ॥ ७२ ॥ अर्थ :- कमला राणीनी साथै विषयसुख भोगवतां तथा पूर्व भवनां पुण्यरूप वृक्षथी प्राप्त थयेल राज्यधुराने वहन करतां दिवसो पसार थये छते ते कमलादेवीने हुं पुत्र थयो, अने विधि वड़े मारूं “सुप्रतिष्ठ" ए प्रमाणे नाम राख्यु. हिन्दी अनुवाद :- कमला रानी के साथ विषयसुख का सेवन करते हुए तथा पूर्व भव के पुण्यरूप वृक्ष से प्राप्त हुए राज्यधुरा का संचालन करते कितने ही दिनों बाद कमलादेवी की कुक्षी से मेरा जन्म हुआ और विधिपूर्वक मेरा “सुप्रतिष्ठ" ऐसा नामकरण किया गया। गाहा : लालिज्जतो पंचहिं धाईहिं कमेण संजाओ पंच-वरिसो माउ-पिऊणं Jain Education International लालयन् पञ्चभि र्धात्रिभिः सञ्जातः पञ्च वर्षः - देवी ।।७० ।। क्रमेण मातृ पित्रोः - वड्ढमाणोऽहं । कयाणंदो ||७३। वर्धमानोऽहम् । कृतानन्दः ||७३ || For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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