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गाहा:
खणमेगमच्छिऊणं परिहास-कहाहिं पिय-यमाए सह । सिय-वसण-च्छाइयाए कोमल तूलीए पासुत्तो ।।८।।
छाया:
क्षणमेकमासित्वा परिहास - कथाभिः प्रियतमाया सह ।
श्वेत - वसन - छादितायां कोमल - तूलीकायां प्रसुप्तः ।।८२।। अर्थ :- प्रियतमानी साथे परिहासनी कथावड़े क्षण एक खेंचायेला चित्तवाळो श्वेतवस्त्रथी आच्छादित कोमल शय्यामां सूतो. हिन्दी अनुवाद :- सात मंजिले भवन के छत पर देवी के अनुरोध से राजा अतिमूल्यवान् शय्या पर बैठा और प्रियतमा की हास-परिहासयुक्त कथाओं से आनन्दित होकर श्वेत वस्त्र से आच्छादित कोमल शय्या पर सो गया। गाहा :
तत्तो य सजल-जलहर-गाज्जिय-सद्देण नट्ट-निहो सो ।
उट्टित्तुं संनिविट्ठो निज्जूहग-संठिय-मसूरे ।।८३।। छाया:
ततश्च सजल-जलधर गर्जित-शब्देन नष्ट-निद्रः सः।
उत्थिय संनिविष्टो निर्मूहक-संस्थित-मसूरे ||८३।। अर्थ :- त्यारपछी जलयुक्त मेघनी गर्जनाथी चाली गयेली निद्रावाळो ते उठीने झरूखामा रहेलो गादी-तकिया पर बेठो. हिन्दी अनुवाद :- तत्पश्चात् जलयुक्त मेघ की गर्जना से उन्निद्र राजा उठकर झरोखों में रखे हुए अर्धासन पर बैठा।
राजा-राणीनो आलाप-संलाप गाहा :
अद्धासणे निविट्ठा कमलदेवीवि ताहे नर-पहुणो । वज्जरइ तओ राया हरिस-वसुल्लसिय-रोमंचो ।।८४।।
छाया:
अर्भासने निविष्टा कमलादेवी अपि तदा नर-प्रभवः ।
कथयति ततः राजा हर्ष-वशोल्लसित-रोमाञ्चः ।।८४।। अर्थ :- अने त्यारे अर्द्धासन पर राजा बेठे छते कमलादेवी पण आवीने बेठी तेथी हर्षना वशथी उल्लसित रोमाञ्चवाळो राजा कहे छे. हिन्दी अनुवाद :- अर्धासन पर राजा के बैठने पर कमलादेवी भी आकर वहाँ बैठी तब हर्ष से उल्लसित रोमाञ्चवाला राजा कहने लगा। गाहा :
मह संगम गरुय-समुल्लसंत-मणहर-पओहरा झत्ति । पेच्छ पिए ! संजाया तुज्झ सरिच्छा कुवेर-दिसा ।।८५।।
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