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अर्थ :- वर्षारूपी राजानो नवो सङ्गम थये छते पृथ्वीरूपी स्त्रीना रोमाञ्च हरित अंकुरना बहाना वड़े मार्ग मां खड़ा थई गया छे. हिन्दी अनुवाद :- वर्षारूपी राजा का नूतन सङ्गम आने पर पृथ्वीरूपी स्त्री का रोमाञ्च हरित अंकुर के बहाने मार्ग में खड़े हो गये हैं। गाहा :
निद्वर-कर-पसरेणं इमेण संताविआ इमा पुहई ।
इय रोसेणव रुद्धो घणेहिं सूरस्स कर-पसरो ।।८९।। छाया :
निष्ठुर - कर · प्रसरेणानेन संतापिता एषा पृथ्वी ।
इति रोषेणैव रूद्धः घनैः सूर्यस्य कर-प्रसरः ।।८९|| अर्थ :- आ सूर्यना निष्ठुर-किरणोनां प्रसरणवड़े आ पृथ्वी संतापित थई छे ए प्रमाणेना रोष वड़े ज मेघवड़े सूर्यना किरणोना प्रसर ने अटकावायो छे. हिन्दी अनुवाद :- यह पृथ्वी सूर्य के निष्ठुर किरणों के प्रभाव से संतापित हो गई है इस प्रकार के रोष से ही मेघ द्वारा सूर्य के किरणों का प्रसार स्थगित कर दिया है। (अवरुद्ध किया है)। गाहा :
मह आगमेवि पिय-विरहियाण महिलाण किं न फुट्टाई ।
हिययाइं सामरिसं विज्जुज्जोएण जोएइ ।।१०।। छाया:
मम आगमेऽपि प्रिय-विरहिनानां महिलानां किं न स्फटितानि ।
हृदयानि सामर्ष विद्युद्योतेन द्योतयति ।।१०।। अर्थ :- मारू आगमन थये छते पण प्रिय थी विरहित स्त्रीओ नां हृदयो केम तूटता नथी ! एम विचारी वर्षाकाळ विजळी ना प्रकाश ना स्वरूपे रोष सहित प्रकाशे छे. हिन्दी अनुवाद :- मेरा आगमन होने पर भी प्रिय से विरहित स्त्रियों का हृदय क्यों टूटता नहीं है ऐसा सोचकर आमर्षयुक्त वर्षा बिजली के उद्योत से प्रकाशित होती है। गाहा :
नाउं मह आगमणं तहवि हु किं चल्लिया पिया मोत्तुं ।
गज्जंतो रोसेणव पहियाणं दलइ हिययाइं ।।९१।। छाया:__ ज्ञात्वा मदागमनं तथापि खलु किं चलिता प्रियां मुक्त्वा ।
गर्जत् रोषेणेव पथिकानां दलयति हृदयानि ||९१।। अर्थ :- मारा आगमन ने जाणीने पण तमे तमारी प्रियाओ ने छोडीने केम चाली गया छो? ए प्रमाणे रोषवड़े गर्जना करता मुसाफटोना हृदय ने आंदोलित करे छे.
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