________________
बिहार गाँव की मृण्मुहरें
(५) ठीक इसी प्रकार की एक दूसरी मृण्मुहर (चित्र- ५ ) है, लेकिन कई जगह से इसकी किनारी एवं बौद्धगाथा के कुछ अक्षर पूर्णतः नष्ट हो गये हैं, जबकि इस पर उत्कीर्ण स्तूप पूर्णत: स्पष्ट है। इसका भी पृष्ठ भाग सादा एवं सपाट है।
(६) बादामी रंग की एक गोलाकार मृण्मुहर (चित्र - ६ ) के ऊपरी अर्द्धभाग में भगवान् बुद्ध उपदेश मुद्रा में कमल-पुष्प पर पद्मासन लगाये हुये बैठे हैं, संभवतः उनके दोनों ओर पार्श्व में कमल की लतायें हैं । भगवान् के सिर के चारों ओर आभा - : मण्डल सुसज्जित है। आसन के नीचे सीधी दो लकीरें हैं। लकीरों के नीचे उत्तर गुप्तकालीन लिपि तथा अलंकृत शैली में प्रसिद्ध बौद्ध गाथा तीन पंक्तियों में अस्पष्ट रूप में अभिलिखित है।
: ३३
ठीक इसी प्रकार की एक मुहर कनिंघम को भी यहाँ से प्राप्त हुई थी, लेकिन उसका रंग बादामी न होकर काला था। इससे मिलती-जुलती एक मृण्मुहर डॉ० पॉल को भी यहाँ से प्राप्त हुई थी, लेकिन उसमें भगवान् बुद्ध अपने दायें हाथ में भिक्षापात्र पकड़े हुए हैं। '
(७) पकी मिट्टी की विविध रंग की अनेक ऐसी भी मुहरें देखने में आयीं, जिन पर ५वीं सदी से ७वीं सदी की ब्राह्मी लिपि में पांच, छः अथवा सात पंक्तियों में उपर्युक्त बौद्धगाथा पूर्ण रूप से सुव्यस्थित है (चित्र - ७) । सभी मृण्मुहरों का पृष्ठ भाग सादा एवं सपाट है।
(८) मुझे यहाँ अतिविशिष्ट एक गोलाकार मृण्मुहर (चित्र - ८) देखने को मिली, जिसके मध्य में स्वयं भगवान् बुद्ध भूमि स्पर्श मुद्रा में एक छत्र युक्त स्तूप में बैठे हुए दर्शाये गये हैं। स्तूप के मण्डप के दोनों ओर उनके दो अनुचर भी खड़े हुए हैं, जबकि स्तूप के ऊपर दोनों ओर दो गन्धर्व भी माला लिए हुए दर्शाये गये हैं। इन अनुचरों की पहचान संकिसा में देवावरोहण के समय तथागत बुद्ध के दायें-बायें सेवित ब्रह्मा एवं शक्र (इन्द्र) नामक देवगणों से की जा सकती है । बुद्धाकृति के ठीक नीचे दो पंक्तियों में प्रसिद्ध बौद्ध गाथा - "ये धर्मा हेतुप्पभवा ।” आदि उत्कीर्ण है। मुहर का शेष भाग फूल-पत्तियों से सुसज्जित है। मुहर का सम्पूर्ण अंकन छोटीछोटी बुंदकियों के इकहरे वृत्त के अन्दर शोभायमान है। वास्तव में यह मुहर मध्यकालीन कला की सुन्दर स्मृति का स्मरण कराती है। ठीक इसी प्रकार की एक मृण्मुहर का उल्लेख श्री एम० एम० नागर ने भी किया है।
अब तक बौद्ध प्रतीकों को धारण की हुई मृण्मुहरें बौद्ध धर्म की प्रसिद्धि तथा बिहार गाँव के साथ बुद्ध एवं बौद्ध धर्म के घनिष्ठ सम्बन्ध को दर्शाती हैं। बौद्ध सन्दर्भों ज्ञात होता है कि संकिसा में विहार, स्तूप एवं संघाराम आदि के बौद्धायतन विस्तृत
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org