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श्रमण, वर्ष ५५, अंक १०.१२
अक्टूबर-दिसम्बर २००४
जैन जगत
अम्बाला : आचार्य विजयवल्लभसूरि स्वर्गारोहण अर्ध शताब्दी वर्ष का समापन अक्टूबर १५-१७ को अम्बाला में वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजयरत्नाकर सूरि के पावन सानिध्य में धूम-धाम से सम्पन्न हुआ। तीन दिन चले इस समारोह में विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। रीवा विश्वविद्यालय में जैन रिसर्च सेन्टर हेतु भवन का शिलान्यास
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज एवं उनके शिष्य मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज की प्रेरणा और कुलपति प्रो० ए०डी०एन० बाजपेयी के उदार सौजन्य से पिछले दिनों अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा में जैन रिसर्च सेन्टर की स्थापना के लिये भवन निर्माण हेतु नींव रखी गयी।
पुस्तक लोकार्पण १७ अक्टूबर को अहमदाबाद में स्व० हीरालाल कापड़िया की पुस्तक जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास भाग १-३ के द्वितीय संस्करण (संपा० एवं संशोधक आचार्य मुनिचन्द्रसूरि) का लोकार्पण किया गया।
सूरत में आयोजित श्रावकाचार संगोष्ठी में डॉ० कपूरचन्द जैन, खतौली द्वारा सम्पादित प्राकृत एवं जैन विद्या शोध संदर्भ के तृतीय संस्करण का लोकार्पण किया गया। इस संस्करण में भारतीय विश्वविद्यालयों से हुए ११०० जैन शोध प्रबन्धों तथा विदेशी विश्वविद्यालयों से हुए १३१ शोध प्रबन्धों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है।
२० अक्टूबर को श्रवणबेलगोला में डॉ० नन्दलाल जैन, रीवा द्वारा अंग्रेजी भाषा में अनूदित एवं डॉ. अशोक जैन द्वारा सम्पादित षट्खण्डागम की धवला ‘टीका का लोकार्पण किया गया। इसी समारोह में पं० फूलचन्द शास्त्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाशित पुस्तक पंडितजी का भी लोकार्पण हुआ।
पूज्य प्रसाद जी गणेश वर्णी जी की १३०वीं जयन्ती समारोह सम्पन्न
श्री स्याद्वाद महाविद्यालय, वाराणसी के प्रांगण में विगत दिनों पूज्य गणेश 'प्रसाद जी वर्णी की १३०वीं जयन्ती मनायी गयी। इस अवसर पर आयोजित कार्यशाला में बोलते हुए प्रो० फूलचन्द जी जैन, अध्यक्ष - जैन दर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत
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