Book Title: Sramana 2004 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 102
________________ साहित्य सत्कार : ९७ ये मुक्ति-प्राप्ति के हेतु भी हैं, अत: उपादेय हैं। इसी लिये लेखक ने सकारात्मक अहिंसा को ही धर्म माना है और अपने मन्तव्य की पुष्टि में सो धम्मो जत्थ दया आदि शास्त्रीय उद्धरणों को प्रस्तुत किया है। विद्वान् लेखक ने बार-बार यह प्रतिष्ठापित करने का प्रयास किया है कि अहिंसा का अर्थ मात्र हिंसा का निषेध नहीं अपितु सकारात्मक और भावात्मक प्रवृत्ति के रूप में भी अहिंसा हमारे लिए उपादेय है। उन्होंने करुणा को त्याज्य मानने का विरोध करते हुए पुण्यबंध के कारण सकारात्मक अहिंसा के निषेध को अनुचित माना है। पुस्तक को जैन धर्म के लब्ध-प्रतिष्ठ विद्वान् डा० सागरमल जैन की सशक्त 'भूमिका' और भी प्रासंगिक बना देती है। पुस्तक की भाषा प्रांजल और सुबोधगम्य है। यह पुस्तक शोधार्थियों के साथ-साथ सामान्य ज्ञान पिपासुओं के लिए भी अत्यन्त उपादेय सिद्ध होगी। डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय साभार पुनीत प्रवज्याना पावन पये (गुजराती), संपा० आचार्य विजय योगतिलक सूरिजी म.सा०; प्रकाशक - संयम सुवास, C/o सेठ जमनालाल जीवतलाल, जूनागंज बाजार, भाभर ३८५३२० (गुजरात); आकार- डिमाई, पृष्ठ ४+४९; अमूल्य। मुम्बईवासी मध्यभारत के दिगम्बर जैन (मुम्बईवासी मध्यभारत के दिगम्बर जैनों की डायरेक्टरी), प्रस्तुति - श्रीमती सुधा देवेन्द्र जैन, प्रकाशक - सन्मति ट्रस्ट, नरेन्द्र सदन, ४ माला, ३६डी, मुगभाट क्रासलेन, मुम्बई - ४००००४, आकारडिमाई, पृष्ठ - ९६, मूल्य - १००/- रुपया मात्र। प्रवचन प्रतिबिम्ब, प्रवचनकार - आचार्य सोमसुन्दरसूरि; संपा० - श्री मगनलाल परमार; प्रकाशक - श्री जैन संघ पेढ़ी; सुनारवाड़ा, सिरोही, राजस्थान ३०७०० १; आकार - डिमाई; पृष्ठ - ३२; मूल्य - पठन-पाठन। वीर प्रभुनां वचनो, भाग-१, लेखक- डॉ० रमनलाल ची० शाह; प्रकाशकश्री मुम्बई जैन युवक संघ, ३८५, सरदार वल्लभभाई पटेल रोड, मुम्बई ४, द्वितीय आवृत्ति २००१; आकार - डिमाई; पृष्ठ - ८+१५९; पक्की जिल्द बाइंडिग; मूल्य८०/- रुपया मात्र। जिनतत्त्व, भाग - ५, लेखक - डॉ० रमनलाल ची० शाह; प्रकाशक, पूर्वोक्त; द्वितीय आवृत्ति २००१ ई०; आकार-डिमाई; पृष्ठ ८+१२८; मूल्य- ५०/- रुपया मात्र। ___अनुसंधान २३, संपादक - आचार्य विजय शीलचन्द्रसूरीश्वर जी; प्रकाशक कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य नवम् जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षण निधि, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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