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बिहार गाँव की मृण्मुहरें : ३१
रूप से अंकित है, जबकि एक मात्र शेष ११वीं मुहर पर भी ब्राह्मी लिपि में एक बौद्ध अभिलेख नौ पंक्तियों में अभिलिखित है । ६
मैंने जब अक्टूबर, १९९९ में अपने अग्रज डॉ० राहुलप्रिय रक्षपाल सिंह के साथ बिहार गाँव की शोधपरक यात्रा की तो यहाँ मुझे कुछ विशिष्ट मृण्मुहरें देखने को मिलीं। इनमें से भी अधिकांश पर उपर्युक्त बौद्धगाथा ५वीं से ७वीं सदी की गुप्तकालीन ब्राह्मीलिपी में अभिलिखित है । प्रस्तुत शोध-पत्र का उद्देश्य इन्हीं विशिष्ट मृण्मुहरों का उल्लेख करना है ।
(१) एक लाल रंग एवं खण्डित किनारी वाली गोलाकार मृण्मुहर (चित्र - १) के आधे ऊपरी भाग के मध्य में एक सुन्दर एवं स्पष्ट स्तूप की आकृति उभरी हुई है । स्तूप की हर्मिका में लगे दोनों छत्र एवं दण्ड पूर्णतः स्पष्ट हैं। स्तूप के निचले भाग में प्रसिद्ध बौद्ध गाथा - "ये धर्मा हेतुप्पभवा ।” पांच पंक्तियों में अंकित
है, जिसके अक्षर कुछ घिस से गये हैं। पृष्ठ भाग सादा एवं सपाट है ।
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(२) बादामी रंग की एक गोलाकार मृण्मुहर (चित्र - २) के आधे ऊपरी भाग में तीन स्तूपों की क्षतिग्रस्त आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं। इनमें मध्य का स्तूप अगल-बगल के दोनों स्तूपों की अपेक्षा कुछ अधिक ऊँचा है और उसकी हर्मिका के दोनों छत्र एवं दण्ड भी स्पष्ट हैं। नीचे के भाग में प्रसिद्ध बौद्धगाथा - "ये धर्मा हेतुप्पभवा पांच पंक्तियों में अंकित है, जिसके प्रारम्भ के लगभग आधे अक्षर पूर्णतः नष्ट हो गये हैं। इसका भी पृष्ठ भाग सादा और सपाट है।
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(३) एक कम पकी हुई हल्के लाल रंग की मृण्मुहर (चित्र - ३) के लगभग मध्य में एक बौद्ध स्तूप की आकृति उभरी हुई है। इसकी हर्मिका में चार छत्र हैं, जो ऊपर की ओर क्रमशः छोटे होते गये हैं। शेष सम्पूर्ण भाग में प्रसिद्ध बौद्ध गाथा“ये धर्मा हेतुप्पभवा.......।” छः पंक्तियों में अंकित है। इसका भी पृष्ठ भाग सादा और सपाट है। इस प्रकार की एक मृण्मुहर सर कनिंघम को भी यहाँ से प्राप्त हुई थी, लेकिन उसका रंग काला तथा अभिलेख छ: के बजाय सात पंक्तियों में था ।
(४) बादामी रंग की एक गोलाकार मृण्मुहर (चित्र-४) के ऊपर की ओर लगभग १९ / ३ भाग में एक सुन्दर स्तूप अंकित है । इसकी हर्मिका में केवल एक ही छत्र है तथा उसके ऊपर दण्ड का कुछ भाग निकला हुआ है। स्तूप के अगल-बगल का भाग संभवतः कमल-पुष्प की पंखुड़ियों से अलंकृत है। नीचे के भाग में बौद्ध गाथा“ये धर्मा हेतुप्पभवा........" पांच पंक्तियों में अंकित है, जिसके अक्षर कुछ घिस से गये हैं। पृष्ठ भाग सादा एवं सपाट है।
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