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द्वार १५८
(i) उद्धारपल्योपम (ii) अद्धापल्योपम तथा (iii) क्षेत्र पल्योपम । पूर्वोक्त तीनों पल्योपम सूक्ष्म व बादर के भेद से दो-दो प्रकार के हैं ॥१०१८ ॥ (i) बादर उद्धार पल्योपम
उत्सेधांगुल के द्वारा निष्पन्न एक योजन प्रमाण लंबा, एक योजन चौड़ा और एक योजन गहरा एक गोल पल्य = प्याला बनाना चाहिये। जिसकी परिधि कुछ कम ३- योजन होती है (गोलाकार वस्तु की परिधि अपने परिमाण से ६ भाग अधिक तीन गुणी होती है)। एक दिन से लेकर सात दिन तक के उगे हए बालानों से उस पल्य को आकंठ इतना ठसाठस भरना चाहिये कि न उन्हें आग जला सके, न वायु उड़ा सके और न जल उसमें प्रवेश पा सके। उस पल्य से प्रति समय एक-एक बालाग्र निकालने पर जितने समय में वह पल्य खाली हो, उस काल को बादर उद्धार पल्योपम कहते हैं। यह पल्योपम संख्याता समय प्रमाण ही होता है क्योंकि बालाग्र संख्याता ही है ॥१०१९-१०२१ ॥ (ii) सूक्ष्म उद्धार पल्योपम
___बादर उद्धारपल्य से सम्बन्धित एक-एक केशाग्र के अपनी बुद्धि के द्वारा असंख्यात-असंख्यात टुकड़े करने चाहिये। द्रव्य की अपेक्षा से ये टुकड़े इतने सूक्ष्म होते हैं कि अत्यन्त विशुद्ध आँखों वाला पुरुष अपनी आँख से जितने सूक्ष्म पुद्गल द्रव्य को देखता है, उसके भी असंख्यातवें भाग प्रमाण होते हैं तथा क्षेत्र की अपेक्षा से सूक्ष्म पनक जीव का शरीर जितने क्षेत्र को रोकता है, उससे असंख्यातगुणी अवगाहना वाले होते हैं। वृद्धमतानुसार बालाग्रों का प्रमाण बादर पर्याप्ता पृथ्वीकाय के शरीर तुल्य होता है। अनुयोगद्वार की टीका में हरिभद्रसूरिजी ने कहा है कि—“बादर-पृथिवीकायिकपर्याप्तशरीरतुल्यान्यसंख्येयखण्डानि।" फिर भी ये बालाग्र अनंतप्रदेश रूप अर्थात् अनंतपरमाणु रूप हैं। इन केशाग्रों को पहले की ही तरह पल्य में ठसाठस भर देना चाहिये । पहले ही की तरह प्रति समय केशाग्र के एक-एक खण्ड को निकालने पर संख्यात करोड़ वर्ष में वह पल्य खाली होता है। अत: इस काल को सूक्ष्म उद्धार पल्योपम कहते हैं। इसमें एक बालाग्र के असंख्याता खंड किये जाते हैं। अत: एक बालाग्र के खंडों को निकालने में असंख्याता समय लग जाता है तो संपूर्ण बालानों को निकालने में संख्याता करोड़ वर्ष लगें तो इसमें आश्चर्य ही क्या है ? ॥१०२२-१०२३ ।। (iii) बादर अद्धा पल्योपम
पूर्वोक्त बादर उद्धारपल्य में से सौ-सौ वर्ष के बाद एक-एक केशाग्र निकालने पर जितने समय में वह पल्य खाली होता है उतने समय को बादर अद्धा पल्योपम काल कहते हैं। बादर अद्धापल्योपम संख्याता करोड़ वर्ष का होता है ॥१०२४ ॥ (iv) सूक्ष्म अद्धा पल्योपम
पूर्वोक्त सूक्ष्म उद्धार पल्य में से सौ-सौ वर्ष के बाद केशाग्र का एक-एक खंड निकालने पर जितने समय में वह पल्य खाली होता है, उतने समय को सूक्ष्म अद्धा पल्योपमकाल कहते हैं। यह असंख्याता करोड़ वर्ष का होता है ॥१०२५ ॥
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