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प्रवचन-सारोद्धार
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देश
CM - 3
आवश्यक-चूर्णि के मतानुसार
जिन देशों में युगलिकों का जन्म हो तथा जहाँ हकार, मकारादि नीति का व्यवहार हो वे देश आर्यदेश कहलाते हैं। आर्यदेश २५, हैं।
नगरी देश
नगरी मगध राजगृही १५. मलयदेश
भद्दिलपुर अंगदेश चंपानगरी १६. मत्स्य
वैराटपुर बंगदेश ताम्रलिप्ती १७. अच्छदेश
वरुणा कलिंगदेश कांचनपुर १८. दशार्णदेश
मृत्तिकावतीनगरी काशीदेश बाराणसी १९. चेदिदेश
शुक्तिमती नगरी कोशलदेश साकेतनगर २०. सिंधुसौवीरदेश वीतभयनगर ७. कुरुदेश
गजपुर . २१. सूरसेनदेश मथुरानगरी ८. कुशाल शौरीपुर २२. भंगिदेश
पापानगरी पांचालदेश कांपिल्यनगर २३. वर्तदेश
मासपुरीनगरी १०. जंगलदेश अहिच्छत्रानगरी २४. कुणालदेश श्रावस्तीनगरी ११. सौराष्ट्र देश द्वारवतीनगरी २५. लाढ़ादेश
कोटीवर्षनगर १२. विदेहदेश मिथिलानगरी २५५. अर्धकेकय श्वेतांबिकानगरी १३. वत्सदेश कौशाम्बीनगरी १४. शण्डिल्य या नन्दिपुर शाण्डिल्य
- चेदिदेश में सौक्तिकावती नगरी । सिन्धुदेश में वीतभयनगर ।
सौवीरदेश में मथुरा। सूरसेन में पापा नगरी तथा भंगिदेश में
मासपुरीवट्ट नगर है। जहाँ-जहाँ नगर व देश के नामों का भेद हैं वहाँ बहुश्रुतों की परंपरा को मान्य रखते हुए व्यवहार करना चाहिये।
पूर्वोक्त आर्यदेश भरतक्षेत्र सम्बन्धी हैं। वैसे महाविदेह की विजय से सम्बन्धित भी अनेक आर्यदेश हैं ॥१५८७-९२ ।।
मतान्तर
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