Book Title: Pravachana Saroddhar Part 2
Author(s): Hemprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 516
________________ प्रवचन-सारोद्धार ४९७ प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार १२१५ १२१६ १२१७ १२१८ १२१९ १२२० १२२० १२२१ १२२२ १२२३ १२२३ १२२४ १२२५ १२२६ तित्थोगालीपइण्णय बृहत्संग्रहणी बृहत्संग्रहणी बृहत्संग्रहणी स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् संबोधप्रकरण कर्मग्रन्थ (प्राचीन) संबोधप्रकरण संबोधप्रकरण संबोधप्रकरण ६१० ३०३ ३०४ ३१२ ९/६७३/१ ९/६७३/२ ९/६७३/३ ११३३ ९/६७३/४ ९/६७३/५ ९/६७३/६ ११३६ ९/६७३/७ ९/६७३/८ ९/६७३/९ ९/६७३/१० ९/६७३/११ ११४१ ९/६७३/१२ ११४२ ९/६७३/१३ ९/६७३/१४ ३/३२ १/५ ३/३७ ३/३८ ३/३९ १२२७ १२२८ १२२८ १२२९ १२२९ १२३० १२३१ १२३८ १२४१ १२४२ १२४३ १२४४ * स्थानांग के सन्दर्भ में प्रथम संख्या स्थान की दूसरी सूत्र की एवं तीसरी गाथा की सूचक है। ज्ञातव्य है कि मुनि. जम्बूविजयजी द्वारा सम्पादित संस्करण में गाथा क्रमांक १-१७ न होकर ११७-१३० है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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