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द्वार २३६
षड्भंगी से प्रतिबद्ध देवकुलिका
४८ ३४२ २४०० १६८०६ ११७६८४ ८२३५४२ ५७६४८०० ४०३५३६०६ २८२४७५२८४ १९७७३२६७४२ १३८४१२८७२०० इसी प्रकार ९ भंग, २१ भंग, ४९ भंग, १४७ भंग की देवकुलिकायें भी समझना । अन्तर इतना
९ भंग की देवकुलिका
४९ भंग की देवकुलिका
२१ भंग की देवकुलिका २१ २२
४९
गुणक गुणक योगांक
१४७ भंग की देवकुलिका १४७ १४८ १४७
५० ४९
२९
९. भांगों की अपेक्षा संपूर्ण व्रतों के भांगे = ९,९९,९९,९९,९९,९९९ २१ भांगों की अपेक्षा सम्पूर्ण व्रतों के भांगे = १२,८५,५०,०२,६३,१०,४९,२१५ ४९ भांगों की अपेक्षा सम्पूर्ण व्रतों के भांगे = २४,४१,४०,६२,४९,९९,९९,९९,९९,९९९ १४७ भांगों की अपेक्षा सम्पूर्ण व्रतों के भांगे = ११,०४,४३,६०,९९,१९,६१,१५,३३,
३५,६९,५७,६९५ होते हैं। इस प्रकार ६, ९, २१, ४९ व १४७ भांगों की पाँच खण्ड देवकुलिकायें हुई। अब सम्पूर्ण देवकुलिकायों का प्रतिपादन किया जायेगा। सम्पूर्ण देवकुलिका में एक, एक व्रत की एक-एक देवकुलिका होने से छ: भांगों की अपेक्षा से प्रत्येक भांगे की बारह-बारह देवकुलिकायें होती हैं। उन्हें पट्ट पर अंकित करने से सम्पूर्ण देवकुलिका का आकार बनता है। अत: इन्हें पूर्ण देवकुलिकायें कहा जाता है।
__ यदि सभी भांगों की पूर्ण देवकुलिकायें बताई जाये तो ग्रन्थ अत्यंत विस्तृत हो जायेगा अत: यहाँ केवल षड्भंगी प्रतिबद्ध १२वी देवकुलिका का ही विस्तृत वर्णन किया जायेगा।
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