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प्रवचन - सारोद्धार
त्रिक संयोगी =
१० भांगे
१. अहिंसा, सत्य, अस्तेय
२. अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य
३. अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह
४. अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य ५. अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह
चतुः संयोगी = ५
१. अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य २. अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह ३. अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
४. अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
५. सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
• इस प्रकार क्रमश: पदों का चारण (बदलने) करने से विवक्षित संख्या के भांगे उपलब्ध होते हैं। पंच संयोगी १ ही भांगा होता है क्योंकि वहाँ पदों के अभाव में चारणा (परावर्तना) नहीं होती ।
पूर्वोक्त १२, ६६ आदि जो एक संयोगी, द्विसंयोगी भांगों की संख्यायें हैं वे ही १२वीं देवकुलिका की गुणक राशियाँ हैं । ये गुणकराशियाँ केवल षड्भंगी से सम्बन्धित ही नहीं है, परन्तु ९, २१, ४९ भांगों से भी सम्बन्धित हैं क्योंकि गुणक राशियाँ सर्वत्र एक रूप होती हैं ।
१२वीं देवकुलिका की गुण्यराशि
प्रस्तुत देवकुलिका षड्भंगी सम्बन्धित है अत: प्रथम गुण्य राशि ६ है । उसे पुनः ६ से गुणा करने पर ६ x ६ = ३६ द्वितीय गुण्य राशि । ३६ को ६ से गुणा करने पर २१६ तृतीय गुण्य राशि । इस प्रकार उत्तरोत्तर राशि को ६ से ११ बार गुणा करने पर जो राशियाँ आती हैं वे गुण्यराशियाँ हैं । १२, ६६ आदि गुणक राशियों से ६, ३६ आदि गुण्य राशियों का गुणा करने पर जो राशियाँ आती हैं वे गुणनफल कहलाती है जैसे ६ x १२ = ७२, ३६ x ६६ = २३७६ गुणनफल है ।
गुण्य
६
३६
२१६
१,२९६
७,७७६
गुणक
६६
२२०
४९५
७९२ ६,४१,५२० ६१,५८,५६२
गुणाकार
गुण्य
१,००,७७,६९६
गुणक
२२०
गुणाकार
गुण्य
गुणक
गुणाकार
१२
७२
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४६,६५६
९२४ ४,३१,१०,१४४
६०४६६१७६
६६
२,३७६
२,७९,९३६
७९२
६. अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह
७. सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य
८. सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह
९. सत्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह १०. अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह पंच संयोगी = १
१. अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह |
२२,१७,०९,३१२
३६,२७,९७,०५६
१२
४७५२०
१६,७९,६१६
४९५
८३,१४,०९,९२० २,२१,७०,९३,१२० २,१७,६७,८२,३३६
१
३,९९,०७,६१६
इस प्रकार १२वीं देवकुलिका का भंगजाल पूर्ण हुआ ।
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३३७
४,३५,३५,६४,६७२ २,१७,६७,८२,३३६
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