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इन छ: के पर्याप्ता और अपर्याप्ता कुल मिलाकर = १२ जीव भेद ।
त्रयोदशविध
पूर्वोक्त बारह और सिद्ध का एक भेद = १३ भेद |
चतुर्दशविध -
(i) सूक्ष्म एकेन्द्रिय
त्रीन्द्रिय
(ii)
बादर एकेन्द्रिय द्वीन्द्रिय
चतुरिन्द्रिय
(iii)
संज्ञी पंचेन्द्रिय
इन सातों के पर्याप्ता- अपर्याप्ता मिलकर = १४ जीव भेद होते हैं ।
१५ प्रकार
१६ प्रकार
१७ प्रकार
९८ प्रकार
(i)
(ii)
(iii)
१९ प्रकार
२० प्रकार
मानव स्त्री
मानव पुरुष
मानव नपुंसक
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(iv)
(v)
(vi)
पृथ्वी
(ii)
(iv) वायु (v) वनस्पति (iii) तेउ (vi) द्वीन्द्रिय
अप्
२१ प्रकार ३२ प्रकार
-
—
(vii) असंज्ञी पंचेन्द्रिय
(iv)
(v)
(vi)
द्वार २१४
पूर्वोक्त १४ में एक भेद सिद्ध का जोड़ने से = १५ जीव भेद होते हैं ।
अंडज आदि आठ जीवों के पर्याप्ता और अपर्याप्ता ८ + ८ = १६ जीव भेद ।
पूर्वोक्त सोलह जीव भेदों में एक भेद सिद्ध का जोड़ने से = १७ जीव भेद ।
निम्न नौ प्रकार के जीवों के पर्याप्ता- अपर्याप्ता ।
तिर्यंच स्त्री
(vii) नारक नपुंसक
तिर्यंच पुरुष
(viii) देव स्त्री
तिर्यंच नपुंसक
(ix) देव पुरुष सिद्ध सहित पूर्वोक्त अठारह = १९ जीव भेद । निम्न दशविध जीवों के पर्याप्ता-अपर्याप्ता ।
(x)
(vii) त्रीन्द्रिय (viii) चतुरिन्द्रिय (ix) संज्ञी पंचेन्द्रिय
सिद्ध सहित पूर्वोक्त बीस = २१ जीव भेद |
(i) सूक्ष्म पृथ्वीका (ii) बादर पृथ्वीकाय (iii) सूक्ष्म अप्काय (iv) बादर अप्काय (v) सूक्ष्म तेउकाय (vi) बादर ते काय (vii) सूक्ष्म वायुकाय (viii) बादर वायुकाय (ix) सूक्ष्म साधारण वनस्पतिकाय (x) बादर साधारण वनस्पतिकाय (xi) बादर प्रत्येक वनस्पतिकाय (xii) द्वीन्द्रिय (xiii) त्रीन्द्रिय (xiv) चतुरिन्द्रिय (xv) संज्ञी पंचेन्द्रिय (xvi) असंज्ञी पंचेन्द्रिय
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असंज्ञी पंचेन्द्रिय
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