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प्रवचन-सारोद्धार
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इन आठों का मन, वचन, काया तथा देश कालोचित दान द्वारा विनय करने से स्वर्ग व मोक्ष मिलता है। इस प्रकार सुरादि आठ के साथ मन-वचन, काया और दान इन चारों के विकल्प करने से ८ x ४ = ३२ भेद विनयवादी के हैं। बोलने का तरीका
१. सुराणां विनयं मनसा कर्त्तव्यं । २. सुराणां विनयं वचसा कर्त्तव्यं । ३. सुराणां विनयं कायेन कर्त्तव्यं । ४. सुराणां विनयं दानेन कर्त्तव्यं । इस प्रकार राजा आदि ७ के साथ भी विनय के ४-४ समझना चाहिये। • कुल विकल्प १८० + ८४ + ६७ + ३२ = ३६३ पाखंडी के भेद होते हैं। इनके
खंडन का प्रकार 'सूत्रकृतांग' आदि ग्रन्थों से जानना चाहिये ।।१२०५-१२०६ ।।
२०७ द्वार:
प्रमाद
पमाओ य मुणिंदेहिं, भणिओ अट्ठभेयओ। अन्नाणं संसओ चेव मिच्छानाणं तहेव य ॥१२०७ ॥ रागो दोसो मइब्भंसो धम्ममि य अणायरो। जोगाणं दुप्पणिहाणं अट्ठहा वज्जियव्वओ ॥१२०८ ॥
-गाथार्थआठ प्रकार के प्रमाद तीर्थंकर परमात्मा ने प्रमाद के आठ भेद बताये हैं। १. अज्ञान, २. संशय, ३. मिथ्या ज्ञान, ४. राग, ५. द्वेष, ६. मतिभ्रंश, ७. धर्म में अनादर तथा ८. योगों की दुष्टप्रवृत्ति-यह आठ प्रकार का प्रमाद त्याज्य है ॥१२०७-०८ ।।
-विवेचन प्रमाद = जो आत्मा को मोक्षमार्ग के प्रति शिथिल बनाता है वह प्रमाद है। इसके ८ भेद हैं:--- १. अज्ञान
मूढ़ता। २. संशय
संदेह, यह है अथवा यह है। ३. मिथ्याज्ञान = विपरीत श्रद्धा ४. राग
आसक्ति, लगाव। ५. द्वेष
अप्रीति ।
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