________________
तृतीय परिच्छेद परोक्ष प्रमाण का निरूपण
परोक्ष प्रमाण का लक्षण
अस्पष्टं परोक्षम् ॥१॥ अर्थ-अस्पष्ट ज्ञान को परोक्ष प्रमाण कहते हैं।
विवेचन-प्रमाण विशेष के स्वरूप में प्रमाण सामान्य के स्वरूप का अध्याहार है,अतः परोक्ष प्रमाण का स्वरूप इस प्रकार होगाःजो ज्ञान स्व-पर का निश्चायक होते हुए अस्पष्ट होता है उसे परोक्ष प्रमाण कहते हैं। स्पष्टता का विवेचन द्वितीय परिच्छेद में किया गया . है, उसका न होना अस्पष्टता है।
__परोक्ष प्रमाण के भेद स्मरणप्रत्यभिज्ञानतर्वानुमानागमभेदतस्तत् पश्च प्रकारम् ॥२॥
अर्थ-परोक्ष प्रमाण पांच प्रकार का है:- (१) स्मरण प्रत्यभिज्ञान (३) तर्क (४) अनुमान (५) आगम
स्मरण का लक्षण __ तत्र संस्कारप्रबोधसम्भूतं, अनुभूतार्थविषयं, तदित्या. कारं वेदनं स्मरणम् ॥३॥