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प्रमाण-नय-तत्त्वालोक]
(७८)
अर्थ-स्वाभाविक शक्ति और संकेत के द्वारा शब्द, पदार्थ का बोधक होता है।
विवेचन-शब्द को सुनकर उसमे पदार्थ का बोध क्यों होता है ? इम प्रश्न का यहाँ समाधान किया गया है । शब्द के पदार्थ का ज्ञान होने के दो कारण हैं-(१) शब्द की स्वाभाविक शक्ति और (२) संकेत । - (१) स्वाभाविक शक्ति-जैसे ज्ञान में ज्ञेय पदार्थ का बोध कराने की स्वाभाविक शक्ति है, अथवा सूर्य में पदार्थों को प्रकाशित कर देने की स्वाभाविक शक्ति है, उसी प्रकार शब्द में अभिधेय पदार्थ का बोध करा देने की शक्ति है । इम शक्ति को योग्यता अथवा वाच्य वाचक शक्ति भी कहते हैं। - संकेत–प्रत्येक शब्द में, प्रत्येक पदार्थ का बोध कराने की शक्ति विद्यमान है । किन्तु एक ही शब्द यदि संसार में समस्त पदार्थों का वाचक बन जायगा तो लोक-व्यवहार नहीं चलेगा । लोक-व्यवहार के लिए यह आवश्यक है कि अमुक शब्द अमुक अर्थ का ही वाचक हो । ऐसी नियतना लाने के लिये संकेत की आवश्यकता है ।
इस प्रकार ग्वाभाविक सामर्थ्य और संकेत के द्वारा शब्द से पदार्थ का ज्ञान होता है।
अर्थप्रकाशकत्वमस्य स्वाभाविकं प्रदीपवत् , यथार्थायथार्थत्वे पुनः पुरुषगुणदोषावनुसरतः ॥ १२ ॥
अर्थ-जैसे दीपक स्वभाव से पदार्थ को प्रकाशित करना है उसी प्रकार शब्द स्वभाव से पदार्थ को प्रकाशित करता है; किन्तु सत्यता और असत्यता पुरुष के गुण-दोष पर निर्भर है। ..