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[ षष्ठ परिच्छेद
अर्थ - सामान्य ही प्रमाण का विषय है. विशेष ही प्रमाण का विषय है, अथवा परस्पर सर्वथा भिन्न सामान्य- - विशेष प्रमाण के विषय हैं, इत्यादि मानना प्रमाण का विषयाभास है ।
(१३३)
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विवेचन – सामान्य और विशेष अलग पदार्थ नहीं हैं । यह दोनों पदार्थ के धर्म हैं और पदार्थ से कथंचित् अभिन्न हैं। आपस में भी दोनों कथंचित् अभिन्न हैं । अतः सामान्य विशेष रूप वस्तु को ही प्रमाण का विषय कहा गया है। उससे विपरीत वेदान्तियों का माना हुआ केवल सामान्य, बौद्धों का माना हुआ केवल विशेष और योगों के माने हुए सर्वथा भिन्न सामान्य विशेष, यह सच विषयाभास हैं ।
फलाभास
अभिन्नमेव भिन्नमेव वा प्रमाणात् फलं तस्य तदाभासम् ॥ ८७ ॥
अर्थ - प्रमाण से सर्वथा अभिन्न या सर्वथा भिन्न प्रमाण का फल फलाभास है ।
विवेचन - बौद्ध प्रमाण का फल प्रमाण से सर्वथा अभिन्न मानते हैं और नैयायिक सर्वथा भिन्न मानते हैं । वस्तुतः यह सब फलाभास है; क्योंकि फल तो प्रमाण से कथंचित् भिन्न और कथंचित् अभिन्न होता है ।