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[ अष्टम परिच्छेद बारह भेद ही होते हैं। प्रारम्भक का किस प्रत्यारम्भक के साथ वाद होता है और किसके साथ नहीं, यह इस नक्शे से स्पष्ट ज्ञात होगा :
(१५१)
प्रारम्भक
जिगीषु
स्वा० तवनिर्णिनीषु
प. त. केवली
जिगीषु
हो सकता है
सम्भव संख्या
प. त. क्षायोपशमिकज्ञानी हो सकता है हो सकता है
99
प्रत्यारंभक
स्वा. त. नि. प. त. नि. क्षायो. प.त.वि.
केवली
हो सकता है हो सकता है
AW
०
99
"
"3
39
"
४
19
91
O
३
सम्भव संख्या
C
३
१२