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षष्ठ परिच्छेद प्रमाण के फल का निरूपण
प्रमाण के फल की व्याख्या
यत्प्रमाणेन प्रसाध्यते तदस्य फलम् ॥ १ ॥
अर्थ-प्रमाण के द्वारा जो साधा जाय-निष्पन्न किया जाय, वह प्रमाण का फल है।
फल के भेद तद् द्विविधम्-अानन्तर्येण पारम्पर्येण च ।। २॥ . " अर्थ-फल दो प्रकार का है-अनन्तर ( साक्षात् ) फल, और परम्परा फल (परोक्ष फल )
___ फल-निर्णय तत्रानन्तर्येण सर्वप्रमाणानामज्ञाननिवृत्तिः फलम् ॥३॥ पारम्पर्येण केवलज्ञानस्य तावत्फलमौदासीन्यम् ॥४॥ शेषप्रमाणानां पुनरुपादानहानोपेक्षाबुद्धयः ॥५॥
अर्थ-अज्ञान की निवृत्ति होना सब प्रमाणों का साक्षात् फल है।