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[ षष्ठ परिच्छेद
अर्थ - 'पाँच भूतों से भिन्न आत्मा नहीं है' यह प्रत्यक्षनिराकृतसाध्यधर्मविशेषण पक्षाभास है ।
विवेचन - पृथ्वी, आप, तेज, वायु और आकाश - इन पाँच भूतों से भिन्न आमा का स्वसंवेदन प्रत्यक्ष से अनुभव होता है, अतः 'भूतों से भिन्न आत्मा नहीं है' यह पक्ष प्रत्यक्ष प्रमाण से बाधित है ।
अनुमाननिराकृत
अनुमाननिराकृतसाध्यधर्मविशेषणो यथा - नास्ति सर्वज्ञो वीतरागो वा ॥ ४२ ॥
अर्थ- 'सर्वज्ञ अथवा वीतराग नहीं है' यह अनुमाननिराकृतसाध्यधर्मविशेषण पक्षाभास है ।
विवेचन – अनुमान प्रमाण से सर्वज्ञ और वीतराग की सत्ता सिद्ध है, अत: 'सर्वज्ञ या वीतराग नहीं है' यह प्रतिज्ञा अनुमान से बाधित है।
श्रागमनिराकृत
श्रागमनिराकृतसाध्यधर्मविशेषणो यथा - जैनैः रजनिभोजनं भजनीयम् ॥ ४३ ॥
अर्थ - 'जैनों को रात्रि - भोजन करना चाहिये' यह आगम निराकृत-साध्यधमविशेषण पक्षाभास है ।
विवेचन – जैन आगमों में रात्रिभोजन का निषेध किया गया है। कहा है