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[तृतीय परिच्छेद
अनुपलब्धि के भेद अनुपलब्धेरपि द्वैरूप्यं-अविरुद्धानुपलब्धिः विरुद्धानुपलब्धिश्च ।। ६३ ॥
अर्थ-उपलब्धि की तरह अनुपलब्धि भी दो प्रकार की है(१) अविरुद्धानुपलब्धि और (२) विरुद्धानुपलब्धि ।
निषेधसाधक अविरुद्धानुपलब्धि तत्राविरुद्धानुपलब्धिःप्रतिषेधावबोधे सप्तप्रकारा ॥४॥
प्रतिषेध्येनाविरुद्धानां स्वभाव - व्यापक-कार्य-कारणपूर्वचरोत्तरचरसहचराणामनुपलब्धिः ॥१५॥
अर्थ-निषेध सिद्ध करने वाली अविरुद्धानुपलब्धि सात प्रकार की है।
प्रतिषेध्य से (१) अविरुद्धस्वभावानुपलब्धि (२) अविरुद्ध व्यापकानुपलब्धि (३) अविरुद्ध कार्यानुपलब्धि (४) अविरुद्ध कारणानुपलब्धि (५) अविरुद्ध पूर्वचरानुपलब्धि (७) अविरुद्ध उत्तरचरानुपलब्धि (७) अविरुद्ध सहचरानुपलब्धि ॥
अविरुद्ध स्वभावानुपलब्धि स्वभावानुपलब्धिर्यथा-नास्त्यत्र भृतले कुम्भः, उपलब्धिलक्षणप्राप्तस्य तत्स्वभावस्यानुपलम्भात् ॥ १६ ॥
अर्थ-इस भूतल पर कुम्भ नहीं है, क्योंकि वह उपलब्ध होने योग्य होने पर भी उपलब्ध नहीं हो रहा है।