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प्रमाण-नय-तत्त्वालोक]
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... अर्थ-वर्षा होगी, क्योंकि विशिष्ट (वर्षा के अनुकूल ) मेघ दिखाई देते हैं; यह अविरोध कारणोपलब्धि का उदाहरण । (यहाँ वर्षा साध्य से अविरुद्ध कारण विशिष्ट मेघ की उपलब्धि है।)
अविरुद्ध पूर्वचरोपलब्धि उदेष्यति मुहूर्तान्ते तिष्यतारकाः पुनर्वसूदयात्, इति पूर्वचरस्य ॥ ८० ॥
___ अर्थ–एक मुहूर्त के पश्चात् पुष्य नक्षत्र का उदय होगा, क्योंकि इस समय पुनर्वसु नक्षत्र का उदय है; यह अविरुद्ध पूर्वचरोपलब्धि है । ( यहाँ पुष्य नक्षत्र से अविरुद्ध पूर्वचर पुनर्वसु की उपलब्धि है)
अविरुद्ध उत्तरचरोपलब्धि उदगुर्मुहूर्तात्पूर्व पूर्वफल्गुन्यः, उत्तरफल्गुनीनामुद्गमोपलब्धेः, इति उत्तरचरस्य ॥ ८१ ॥
अर्थ-एक मुहूर्त पहले पूर्वफल्गुनी का उदय हो चुका है, क्योंकि अब उत्तरफल्गुनी का उदय है, यह अविरुद्ध उत्तरचरोपलन्धि है। ( यहाँ पूर्वफल्गुनी से अविरुद्ध उत्तरचर उत्तर फल्गुनी की उपलब्धि है)
अविरुद्ध सहचरोपलब्धि अस्तीह सहकारफले रूपविशेषः, समास्वाद्यमानरसविशेषात्, इति सहचरस्य ॥ ८२ ॥