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विषय के अनुरूप यहाँ पर कुछ विशिष्ट संग्रहालयों के संग्रह की चर्चा ही अपेक्षित है । उस क्रम में सर्व प्रथम बड़ौदा म्यूज़ियम एन्ड पिक्चर गैलेरी को रखा है। ई.सन् १९२१ में प्रारंभ किया गया यह बहुउद्देशीय संग्रहालय गुजरात के संग्रहालयों में अग्रणी है। कला और संस्कृति के संग्रहों के अतिरिक्त वनस्पति- विद्या और मानववंश -विद्या से सम्बन्धित संग्रह भी हैं। सिक्कों के संदर्भ में यहाँ का संग्रह उत्तम श्रेणी का है। लगभग २२००० सिक्के यहाँ पर संगृहीत हैं, जिसमें भारतीय तथा विदेशी सिक्कों का समावेश है। सोने, चाँदी, तांबा, सीसा और बिलन आदि सभी धातुओं के सिक्के हैं ।
प्राचीन गुजरात में प्रचलित सिक्कों में यहाँ पर आहत सिक्के, इण्डो ग्रीक राजाओं के सिक्के, कुषाणो के सिक्के, पश्चिमी क्षत्रपों के सिक्के, गुप्त, वलभी, गधैय्या, और सातवाहन सिक्के उल्लेखनीय हैं। आहत सिक्कों में चाँदी और ताँबा दोनों ही धातुओं के सिक्के हैं। चाँदी के आहत सिक्कों में पाँच या छः चिह्न अंकित है। सिक्के आकार में चौकोर तथा मोटे हैं। ताँबे के दो सिक्के प्रदर्शित हैं, जिनमें केवल एक-एक ही चिह्न है । इण्डो ग्रीक राजाओं के सिक्कों में 'बेसिलिओस मेगालाउ यूक्रतिदाउ' लेख वाला यूक्रेटाइडस का एक बड़ा सिक्का प्रदर्शित है । मिनेण्डर के पाँच सिक्के और अपोलोडोटस के चौकोर सिक्कों में हाथी के सिर वाला दुर्लभ सिक्का यहाँ पर संगृहीत है। गुजरात में प्रचलित सोटर मेगास का सिक्का भी यहाँ पर प्रदर्शित है। सोटर मेगास को ही अंतिम इण्डो-ग्रीक राजा माना जा सकता है, जिसका राज्य पश्चिमी क्षत्रपों के राज्य के पूर्व तक था । कुषाणों के कुल छ: सिक्के प्रदर्शित हैं, जिनमें सोना, चाँदी और ताँबा तीनो ही धातुओं के सिक्के हैं ।
गुप्तकालीन सिक्कों में समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त, कुमारगुप्त आदि राजाओं के सिक्के प्रदर्शित हैं। चंद्रगुप्त द्वितीय का अश्वारोही प्रकार का सुवर्ण सिक्का तथा कुमारगुप्त का दण्डधारी प्रकार का सिक्का विशिष्ट है। गुजरात में प्रचलित कुमारगुप्त प्रथम के गरुड़ प्रकार के चाँदी के सिक्कों में पूर्ण लेख तथा अच्छी दशा होने के कारण उल्लेखनीय हैं।
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वलभी सिक्कों में त्रिशूल प्रकार तथा त्रिशूल और परशु दोनों ही प्रकार के सिक्के हैं। कई गधैय्या सिक्के भी प्रदर्शित किए गये हैं । आकार में छोटा तथा सातकणिस लेख - युक्त एक सिक्का सातवाहन वंश का भी है। इस प्रकार के कई सिक्के 'कारवाण' नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं 1
गुजरात के इतिहास में सर्वाधिक दीर्घशासित काल क्षत्रप - काल माना जाता है। क्षत्रप-काल का इतिहास ज्ञात करने का एकमात्र साक्ष्य सिक्के ही हैं । यहाँ पर क्षत्रप- राजाओं में भूमक, नहपान, जयदामन्, रुद्रदामन्, रुद्रसिंह प्रथम, रुद्रसेन प्रथम, दामसेन, भर्तृदामन, विश्वसेन, विश्वसिंह, वीरदामा, यशोदामा द्वितीय और स्वामी रुद्रसेन के सिक्के प्रदर्शित हैं जिनमें कुछ सिक्के तिथियुक्त भी हैं।
बड़ौदा में ही म. स. यूनिवर्सिटी संग्रहालय में देवनीमोरी तथा बिलोदरा के उत्खननों से प्राप्त सिक्कों का संग्रह है । देवनी मोरी से प्राप्त वलभी तथा कुमारगुप्त के चाँदी के सिक्के तथा बिलोदरा से प्राप्त 'शर्वभट्टारक' चांदी के सिक्के उल्लेखनीय हैं ।
राजकोट स्थित वाटसन म्यूजियम भी गुजरात के महत्त्वपूर्ण संग्रहालयों में से एक है। यहाँ पर क्षत्रपकालीन सिक्कों का दुर्लभ संग्रह है । भूमक से लेकर स्वामी रुद्रसिंह तृतीय तक के सिक्के प्रदर्शित हैं । भूमक का ताँबे का गोल सिक्का अद्भुत है, जिसके सभी चिह्न तथा लेख स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहें हैं । यहाँ पर संगृहीत संघदामन् का सिक्का अद्वितीय है ।
बार्टन संग्रहालय - भावनगर में गणराज्यों के सिक्कों में मालव और यौधेय गणराज्यों के सिक्के विशिष्ट हैं । मालव तथा यौधेय ये दोनों ही गणराज्य रुद्रदामन् के समकालीन थे । इसके अतिरिक्त रिजर्व कलेक्शन में पथिङ • दीपोत्सवांड - खोस्टो - नवे - डिसे. २००१ • ६८
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