Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी प्रवचनम्
अन्वयः - अणुदित् सवर्णस्य स्वं रूपं चाप्रत्ययः ।
अर्थ:- अण् उदिच्च वर्ण: सवर्णस्य स्वस्य च रूपस्य ग्राहको भवति, प्रत्ययं वर्जयित्वा ।
उदा०-(अण्) आद्गुणः - खट्वेन्द्रः । 'क्यचि च - मालीयति । यस्येति च - मालीयः । (उदित्) लश्क्वतद्धिते। चुटू ।
आर्यभाषा - अर्थ - (अण्-उदित्) अण् और उदित् (सवर्णस्य ) सवर्णों का और (स्वम्) अपने (रूपम्) रूप का (च) भी ग्राहक होता है (अप्रत्ययः) प्रत्यय को छोड़कर । उदा०- -(अण्) 'आद्गुण:' खट्वेन्द्रः । खाट का राजा । 'क्यचि च' मालीयति । किसी वस्तु को माला के समान धारण करता है। 'यस्येति च'- मालीयः । माला में रहनेवाला पुष्प आदि । इत्यादि स्थानों पर अकार आदि को कार्य कहने पर वहां ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत, उदात्त, अनुदात्त, स्वरित और निरनुनासिक तथा सानुनासिक भेद से युक्त १८ अठारह प्रकार के अकार आदि का ग्रहण किया जाता है। अकार के १८ भेद वृद्धिरादैच् (१1१1१) सूत्र के प्रवचन में दिखा दिये हैं, वहां देख लेवें। (उदित्) 'लश्क्वतद्धिते' (१।३।८) यहां 'कु' से कवर्ग और 'चुटू' (१।३।७ ) यहां चु से चवर्ग और टु से टवर्ग का ग्रहण किया जाता है ।
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विशेष- प्रत्याहार सूत्रों में दो (अण् ) प्रत्याहार बनाये गये हैं, एक 'अइउण्' (६।१।८७) में तथा दूसरा 'लण्' सूत्र में। 'लण्' सूत्र में जो अणु प्रत्याहार बनाया गया है उसका प्रयोग केवल इसी सूत्र में किया गया है। अन्यत्र सर्वत्र 'उ इ उ ण्' के अण् प्रत्याहार का ही प्रयोग किया गया है।
सिद्धि - (१) खट्वेन्द्रः । खट्वा+इन्द्रः । खट्वेन्द्रः । यहां 'आगुण' से 'अ' से परे 'अच्' को कहा गुणरूप एकादेश सवर्ण ग्रहण से 'आ' से परे भी अच् को गुणरूप एकादेश हो जाता है।
(२) मालीयति । माला+क्यच् । माली+य। मालीय+लट् । मालीय+शप्+तिप् । मालीय+अ+ति । मालीयति । यहां 'क्यचि च' (७।४ । ३३) से 'अ' कं कहा ईकार - आदेश सवर्ण ग्रहण से 'आ' के स्थान में भी हो जाता है।
(३) मालीयः । माला+छ। माल्+ईय। मालीय+सु । मालीयः। यहां 'यस्येति च' (६।४।१४८) से 'अ' का लोप होता है किन्तु सवर्ण ग्रहण से 'आ' का री लोप हो जाता है।
तत्कालग्रहणम्
(३) तपरस्तत्कालस्य । ६६ ।
प०वि० - तपरः १ । १ तत्कालस्य ६ । १ ।
स०-तः परो यस्मात् सः - तपरः ( बहुव्रीहि: ) । तदपि परस्तपरः
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