Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

View full book text
Previous | Next

Page 551
________________ ५१० पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् बाङ्गः । बङ्ग देश के राजा का पुत्र बाग' कहाता है। बङ्गस्य बहूनि अपत्यानि-बङ्गाः । बङ्ग के बहुत पुत्र बङ्ग कहाते हैं। कलिङ्गस्यापत्यम्-कालिङ्गः । कलिङ्ग देश के राजा का पुत्र कालिङ्ग' कहाता है। कलिङ्गस्य बहूनि अपत्यानि-कलिङ्गाः । कलिङ्ग के बहुत पुत्र 'कलिङ्ग' कहाते हैं। सिद्धि-अङ्गाः । अङ्ग+अण्+जस् । अङ्ग+o+जस् । अङ्गाः । यहां व्यऋमगधकलिङ्गसूरमसादण्' (४।१।१७०) से तद्राजसंज्ञक 'अण्' प्रत्यय है। इसका बहुत पुत्रों के अर्थ की विवक्षा में इस सूत्र से लुक' हो जाता है। ऐसे ही-बङ्गाः, मगधा:, कलिगाः । विशेष-(१) तद्राज-ते तद्राजा:' (४।१।१७२) तथा 'ज्यादयस्तद्राजा:' (५।३।११९) से जिन-प्रत्ययों की तद्राज-संज्ञा की गई है, उन्हें उस प्रकरण में देखकर समझ लेवें। (२) अङ्ग-गङ्गा के दाहिने तट पर अवस्थित राज्य। इसकी राजधानी चम्पा नगरी (अनङ्गपुरी) थी। यह चम्पा नगरी आधुनिक भागलपुर नगर के समीप बिहार प्रान्त में थी। (३) मगध-बिहार प्रान्त में अवस्थित प्राचीन मगध राज्य। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। इसका प्राचीन नाम कीकट देश भी है। (४) कलिङ्ग-उड़ीसा के दक्षिण ओर का प्रदेश। इसकी राजधानी कलिग नगर थी। आधुनिक राजमहेन्द्री नगर। (२, ३, ४ के लिये द्र० संस्कृत शब्दार्थ कौस्तुभ का परिशिष्ट)। गोत्रप्रत्ययस्य (६) यस्कादिभ्यो गोत्रे।६३। प०वि०-यस्क-आदिभ्य: ५।३ गोत्रे ७।१। स०-यस्क आदिर्येषां ते यस्कादय:, तेभ्य:-यस्कादिभ्यः (बहुव्रीहि:)। अनु०-लुक्, बहुषु, तेन, एव, अस्त्रियाम् इति चानुवर्तते। अन्वय:-अस्त्रियां बहुषु यस्कादिभ्यो गोत्रे लुक् तेनैव कृतं बहुत्वं चेत् । अर्थ:-स्त्रीलिङ्गवर्जितेभ्यो बहुष्वर्थेषु वर्तमानेभ्यो यस्कादिभ्यः प्रातिपदिकेभ्यो गोत्रापत्येऽर्थे विहितस्य प्रत्ययस्य लुग भवति, यदि तेनैव गोत्रापत्यप्रत्ययेन कृतं बहुत्वं स्यात् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590