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वात राव तीडैरी अर रावल सांवतसी सोनगरै इयां दोनारै
भीलमाल वेढ हुई तै समैरी
सोनगरां पर राव तीडैजीरै वेढ' हुई। सोनगरारा पग छूटा।' तरै राठोडां वासो कियो । सु सोनगरांरी सीसोदणी सुवळी नांम साथ हुती। सु सीसोदणीरी वैहल दोळा तीडैजीरा असवार आय फिरिया। तीडोजी पण" आय फिरिया। कह्यो-'थे वैहल फेरो।' तद सीसोदणी सुवळी कह्यो-'कासू करसो ?' तद कह्यो-'घरवासो' ।' तद सीसोदणी कह्यो-'एक कोल द्यौ ज्यु हालू ।'10 तद तीडैजी कह्यो-'मांगो।' तद कह्यो-'म्हारो जायो पाटवी हुवै ।'11 तद तीडैजी कह्यो-'भलां, पाटवी थाहरो जायोडायूँ करस्यां ।। तद सीसोदणी सुवळीनू घरे लाया । तठे अोखांणो दूहो कहै छै
'सुवळी ती. भिळ गई, सो सबळ सो सत्थ ।' । पछ सुख कियो, तरै बेटौ कान्हड़देव जायो ।14 म्होटो हुवो। कुवरपदो कान्हडदेजीनू दियो। सलखो रुळियो फिरियो ।16 अर सीसोदणी तीडोजीरे राजरी धणियांणी' हुई । जिकू सीसोदणी कियो सो प्रमाण हुवो । तर कान्हड़देजी बेटो टीकायत हुवो। _इतरै करतां गुजरातरै पातसाहरी फोज आई ।२० तद मेहवो
I लडाई । 2 सोनगरे हार कर भाग गये। 3 पीछा। 4 थी। 5 वहली। 6 इधर-उधर, चारो ओर। 7 भी। 8 क्या करोगे? 9 पुनर्लग्न । 10 एक बात का वचन दो तो मैं चलू । II मेरा पुत्र पाटवी (राज्याधिकारी) हो। 12 तब तीडेजीने कहा-'अच्छी बात है । तुम्हारेसे उत्पन्न पुत्रको पाटवी बनायेंगे।' 13 ऐसे आख्यान पर यह कहावत रूप (प्राधा) दोहा कहा जाता है । अोखाणो= (१) आख्यान । (२) कहावत । इस अोखाणोका भावार्थ यह है कि-'सुवली तीडेके साथ हो गई और बहली और भोजन आदिकी जो सामग्री साथमे थी वह भी साथमे लेती गई।' 14 सुवलीके साथ सहवास किया जिससे उसके कान्हडदे नामका पुत्र उत्पन्न हुआ। 15 राज्याधिकारी कुंवर (पाटवी कुंवर)का पद कान्हड़देको दिया गया। 16 सलखा रुलता फिरा। 17 स्वामिनी, मालकिन । 18 जो सोसोदनीने कर लिया या कह दिया सो सही हुआ। प्रमाण सही, प्रामाणिक । 19 इसलिये (सलखेसे छोटा होते हुए भी) टीकायत पुत्र कान्हडदे हुआ। 20 इतनेमें गुजरातके वादशाहकी फौज चढ़ कर आई ।