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मुँहता नैणसीरो ख्यात ताहरां विसोढो पाछो आयो । आयनै राजानू कह्यो– 'बाप ! मूळ कोटमें किसी तरह आवे ? म्है तो घणो ही कह्यो, पण आवै नही ।" ताहरां ठे गोरे वादळ मूळूरा विखोड किया- 'जु जाह रे, भला रजपूत ! श्रावणो हुतो ।
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ताहरां हेक दिन, भाद्रवैरा दिन हुंता । मूळू घोड़े चढ पाटण आयो, सो माळीर घररं पिछोकडे प्राय ऊभी रह्यो । पाछे परनाळी
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हुतो र मेह बरसतो हुतो, ते परनाळा नीचे मूळू माथै ढाल देय ऊभो रह्यो ।' ताहरां माळीनू मालण कह्यो - 'देखो छो, परनाळो किसी विध वाजे छे ? " ताहरा माळी ऊठ अर देखे तो हेक असवार घोड़े चढियो ऊभो छै, ताहरां माळी मालणनू कह्यो - 'देख ! कोई असवार ऊभी छे । ताहरां मालण को- 'ओ तो म्हारे मूळ सारीखो छै, जु बापरै वेरनू धुखँ छे ।" माळी ऊठ देखे तो मूळू हीज छे । ताहरां मूळून माळी घर माहै भीतर लियो । घोडो भीतर लियो, बाधो ।' मूळूनूं जमायो । रात माळी मूळूनू घर मांहै राखियो । प्रभात हुवो तरां मालण भीतर राजानी सेवाना फूल ले हाली । ' ताहरा मूळू कह्यो-'हेकर सौ हों पण राजानै पण जनाना कपड़ा पहरिया । 21 फूलांरी छाब मे कटारी घाती अनै बेहू हजूर गया । 23 राजा भीतर बैठो थो । ताहरा चारण विसोढो पण हजूर मांहै छै । इतरेमे मालण छाब लेय भीतर गई । ताहरा वीच गोरो वादळ बैठा हुंता । 24 ताहरा मूळू
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देखीस | 10 ताहरां मूळ माथै लीवी । 12 फूलां -
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I मूल कोटमे किस प्रकार थाये ? मैंने तो बहुत कहा परतु वह नही आता । 2 तव यहाँ गोरे और बादलने मूलूकी हसी ( निंदा) की कि जारे भला रजपूत या जाना चाहिये था । 3 सो मालीके घरके पीछे की ओर आकर खड़ा रहा । 4 पीछे पनाला था और मेह बरस रहा था । मूलू उस पनाले के नीचे सिर पर ढालको लगा कर खड़ा रहा । 5 देखते हो ! यह पनाला ऐसी आवाज क्यो कर रहा है ? 6 यह तो मेरे मूलूके जैसा लगता है जो अपने बापके बैरका वदला लेनेके लिए खीज रहा है । 7 घोडेको प्रदर लिया और बाघ दिया । 8 मूलूको भोजन कराया । राजाकी सेवा-पूजाके लिये फूल ले कर चली । IO तब मूलूने भी जनाना कपडे कटारी रख दी और दोनो हुए थे ।
पहिने । 12 फूलोकी राजा की हुजूरमे गये ।
9 प्रभात हुआ तव मालिन भीतरसे एक बार में भी राजाको देखूंगा । II छावडी सिर पर ली । 13 फूलो 14 तब बीचमे गोरा और बादल बैठे