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मुहता नैणसीरी त्यात तद मा कह्यो-'बेटा काँधळ ! जो इम जाणती तो खाँडाँस घर भरावू ।' ताहरां कांधळ कहै-माजी ! न जाणो वीरमरी मा पर कान्हडदेरो महळ तैरै गोळियरी दूं हूँ ? म्है तो तेहीज दिन कही हुती ।'
इति वात सागमराव राठोडरी सपूर्ण । ॥ शुभ भवतु । फल्याणमस्तु ।।
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1 तव मा ने कहा वेटा काधल । ऐसा जानती तो खांडोसे घर भरवा देती। 2 तव काधल कहता है कि माजी ! वीरमकी माता और कान्हडदेकी पत्नी इन्हे गुलेलकी में मारूं? (यह कैसे हो सकता है ? मेरी प्रतिज्ञाको खडित होती हुई देख कर क्रोधावेशमें इस आश्चर्यपूर्ण अघटित कामवो करके) मैने तो उसी दिन प्रापसे कह दिया था । फिर भी आपने नही जाना।
[ शेष पृ० २६३ फा] राय कहे आगळ श्रम काघल, जोधो आम न जाण्यो कागरे कोठो भरी ज नाख, ग्रेव कही वखाण्यो। २१० चढी रसे वीर कापल बोले, रायजी जाण न जाण
प्रथम थी अमे सहु दिन सेवा, आ वेळा न वखाण । २११ मुहता नैणसीरी स्यात (हमारे द्वारा सम्पादित) भाग १, पृ० २१६ से २२६ तकमे अलाउद्दीन द्वारा सोमइया महादेव (सोमनाथ महादेव) को गाड़ेमे डाल कर ले जाते हुए कान्हडदेसे जालोरमे जो युद्ध हुआ है, वहाँ भी काँधलकी वीरताका उल्लेख पठनीय है ।
'कई प्रतियोमे 'छ' पाठ है जो वर्तमानकालिक उत्तमपुरुपकी क्रियाका सूचक है। भतकालिक घटनाका उल्लेख होनेसे हू' पाठ ठीक जंचता है, जो सर्वनाम उत्तमपुरुपके कर्ताका रूप है।