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मुंहतो नैणमीरी ख्यात सारू ।' ताहरां हाथी रेया हुतो। ताहरा भगत तयार हुई। ताहरा कह्यो-'कुवरजी | थे पधारो, भगत आरोगो। तितरै हाथी रेयां छै सु हमार आवै छै । ताहरां कह्यो-'जी, हाथी पैहला लेने पछै भगत आरोगस्यां । ताहरा रायसल दूदावत बोलियो-'जी, इसडा डावडा अडीला म्हारै ई छ, म्है हाथी नी द्यां ।' थे पधारो।" ___ताहरां कुवर रीसायनै कहियो-'जु हाथी तो न द्यो छो, पण म्हारो नाम मालदे छै । मेड़तेरी ठोड़ मूळा वुहाऊं तो मालदे।" पछै मालदेजी पाछा जोधपुर आया।
ताहरा राव गांगजी कहाडियो वीरमदेजीनू-'जु थे प्रो कासू कियो ?10 जितरै हू जीवू तितरै तो थे म्हारै परमेश्वर छौ,' पण हु पुहतो न | ताहरां मालदे थांसू भूडो छ, थानू दुख देसी । ओ हाथी इयरै सिर देवो ।18 ताहरा वीरमदेजी कहायो-'भला, जो थारै दाय आई तो हाथी परहो मेल देस्यां ।14 ताहरां घोड़ा राव गांगैजो सारू15, हाथी मालदेजी सारू मेल दिया । ताहरां हाथी पीपाड़ आयो, ताहरा घाव फाटिनै हाथो मुवो।" ताहरां आदमिया घोड़ा ले जाय निजर किया । अर कह्यो-'जी हाथी तो पीपाड़ माहै
आवतो मुवो ।' ताहरा राव गांगैजो कह्यी-'हाथी म्हारी धरती माहै प्राय मुवो, सो म्हारै आयो । ___ ताहरा कुवर मालदे बोलियो-'जी, हाथी थांहरै आयो, पण म्हारै हाथी न पायो । जाहरां हाथी ले सकीस ताहरां लेईस ।'21 तठा पछै वरस १ हीज राव गांगोजी जीवियो। ___ I मालदेवके लिये इन्होने भोजनकी तैयारी की। 2 हाथी रीया गावमे था। 3 कुवरजी ! पधारिये, भोजन अरोगिये। 4 इतनेमे हाथी रीयासे अभी पा जाता है। 5 हाथी पहले लेकर फिर भोजन करेंगे। 6 ऐसे अडियल कुवर हमारे भी है, हम हाथी नही देते। 7 श्राप जाये। 8 हाथी नही दे रहे हो, परतु मेरा नाम मालदेव है। 9 मेहतेकी जगह मूले वुवाऊ तो मैं मालदेव। 10 तुमने यह क्या किया? II जब तक मैं जिन्दा हू तब तक तो श्राप मेरे लिये परमेश्वरके समान है। 12 तुमको तकलीफ देगा। 13 यह हाथी इसके सिर दे दो। 14 अच्छा, यदि तुम्हारी यही इच्छा है तो हाथी भेज देगे। 15 के लिए। 16 भेज दिये। 17 तव घावोंके फट जानेसे हाथी मर गया। 18 मेरी। 19 हमारे पा गया। 20 तुम्हारे । 21 जब भी हाथी ले सकूगा तव ही ले लगा।