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मुंहता नैणसीरो ख्यात रो मामलो छ । ताहरां नरो वोलियो-'म्हे क्यु ही कहां नही, आवो। ताहरा वांभण पिण चढ आयो, साथ हुवो। जाहरा विटड्या कनै गया, ताहरां रामो बोलियो । कह्यो-'जी, घस को दीस नही, मारग कोई पग दीसै नही ।' आपां जास्या केथ ?" ताहरा नरो प्रोहितसौ बाथा घातनै मिळियो । रांमैन कह्यो-'म्हे पोकरण लेस्या ।" ताहरां रांमै कह्यो-'कोडीधज घोड़ेरो मुहडो कुहटो।' ताहरां कोडीधजरो मुहडो कुहटता कोडीधज फरडको कियो", सो गाम उगरास माहै केरडू मगरै ताई सुणियो। ताहरां राव खीवो न्याळे माहै बैठो हुतो, कोळी हाथ माहै लीवी छ, छाट घालतो हुतो।' ताहरा कोड़ीधजरो फरडको सुणियो ताहरा राव खीवो बोलियो-'भाई । कोड़ीधज घोडैरा फरडका सुणीजै छै, कोट पण एकलो छै, वांभणियो पण मास ५-६ हुवा आयो बैठो छै, उपद्रव दीसै छै । आजे कुसळ विहावै ।
ताहरां असवार पांच छव चाढिया, 'खबर करो' । ताहरां औ असवार मगर जायनै खडा रह्या । अटकळ करण लागा। 'देखा, कुण छै ? कुण वहै छै?1 ताहरांअसवार आय, मारग मायै ऊभा रह्या। जितरै साथ आयनै नीसरियो ।' ताहरां असवारां पूछियो-'कुण ठाकुर छै ? 18 ताहरां कह्यो-'साथ नरै वीकावतरो छै। अमरकोट परणीजण जावै छै ।14 ताहरा कह्यो-'घोड़ो कोडीधज तो नरै सूजावतरो छै ।' ताहरा कह्यो-'माहरै घोड़ो सखरो कोई हुतो नही, तिकण पगा
1 न तो कोई सेना दिखती है और न मार्गमे किसीका खोज ही दिखाई देता है। 2 अपन जायेंगे विधर? 3 तव नरा पुरोहितसे भुजा पसार कर मिला। 4 हम पोकरण - लगे। 5 तव कोडीघज घोडेका मुह वाचते समय कोडीघजने अपना मुह और नथुना फडफडाया। 6 सो वहासे उगरास गावमे और केरडू की पहाडी तक सुनाई दिया। 7 तब राव खीवा न्यालेमे बैठा हुअा था और ग्रास हाथमे लेकर छांट डाल रहा था। (कोढी= देवार्पण निमित्त अजलिमे लिया जाने वाला या लिया हुआ ग्रास परिमारण जितना पक्वान्न प्रादि खाद्य-पदार्थ) 8 कोडीधज घोडेके फरडके सुने जाते है, कोट सूना है और ब्राह्मण भी ५-६ मान हुए पाया बैठा है, कोई उपद्रव दिखाई देता है। 9 अाज कुशल नहीं है। 10 देखें, कौन है ? कौन जा रहे है ? II मार्ग पर जाकर खडे रहे। 12 इतने में दल या निकला। 13 कौनसे ठाकुर है ? 14 उमरकोट व्याहनेको जा रहे हैं।