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मुहता नैणसोरी ख्यात माल दियो। वडो व्याह कियो। वीदरै ठकुराई पगथी मडी। मोहिलाणीसू वीदो घणी मया करै । पछै जबै वीदासू कहिन कितराहेक मोहिलास जबरै वणतो नही, तिके सारा धरती माहेसू कढाया।' वीदै वडो अमल कियो । वीदै द्रोणपुर फेर वसायो । द्रोणपुर वडी वसती कीवी।'
संमत ६३१ वागडियां तीरा मोहिले धरती लीवी थी, सु ६०० वरस ताई मोहिले धरती भोगवी। संमत १५३१ सूधी मोहिलारै धरती रही।
समत १५२३ राव जोवै ी धरती लीवी थी, मास ४ तथा ५ रही।'
पछै कुवर मेघो वछराजोत तिके फेर धरती अपूठो लीवी ।' मेघो टीकै बैठो। धरती वसाई। पछै मेघो मुंवो' ताहरां वैरसल नै नरबद पाट बैठा।
ताहरां राव जोधोजी मडोवरसू कटक करनै छापर द्रोणपुर ऊपर पाया, ताहरां वैरसल नरबद नीसर गया। ताहरां राव धरती लीवो, तिणरी हकीकत ऊपर छ। राव जोधै धरती लेने कुवर वीदेनू दीधी हुती ।' सु अाज सूधी धरती वीदेजीरा पोत्रां वोदावतां हेठ छै ।12
राठोड रांमदेरा बे-अखरी छद, तिणां मांहै सारी हकीकत छै13
I वीदेकी ठकुराईको नीव जमी। 2 वीदा मोहिलाणीसे खून प्रेम करता है। 3 फिर जवेने वीदाको कह करके, कितनेक मोहिलोको, जिनका जवेसे वनता नहीं था, उन सवको धरतीमेसे निकलवा दिया। 4 वीदेने द्रोणपुर पुन वसाया। 5 द्रोणपुरको वडी वस्ती बना दिया। 6 सम्वत् ६३१मे वागडियोंसे मोहिलो ने धरती ली थी, उस धरतीको १०० वर्षों तक मोहिलोंने भोगी। सम्वत् १५३१ तक यह धरती मोहिलोंके अधिकारमे रही। 7 यद्यपि सम्वत् १५२३में राव जोधाजीने उस पर अधिकार कर लिया था, किन्तु केवल ४ या ५ महीनो तक ही उनके अधिकारमे रह सकी। 8 बादमे कुवर मेघा वछराजोतने वापिस छीन ली थी। 9 मर गया। 10 तब वैरसल और नरवद भाग कर निकल गये। II राव जोधाने इस घरतीको लेकर कुवर वीदेको देदी थी। 12 सो श्राज तक यह धरती वीदाजीके पौत्र वीदावतोके अधिकारमे है। 13 राठौड' रामदेव द्वारा रचित निम्नाकित वे-प्रखरी छद, जिनमे सारा वृत्तान्तं कहा गया है ।