Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 03
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 281
________________ ॥ श्री रामनी ।। अथ क्यांमखान्यांरी उत्पत नै फतेहपुर जूझणू वसायो तैरी वात दरैरैरा वासी चहुवाण; तिकां ऊपर हंसाररो फोजदार सैद नासर दोड़ियो। तद दरैरैरो मारियो अर लोक सरब भागो। पाछै बाळक २ पालणा माहै रहि गया-एक चहुवाणरो ने एक जाटरो।' पर्छ बाळक २ फोजदार नजर गुदराया। ताहरां फोजदार दोठा । हुकम कियो-'जु हाथीरै महावतनू सूपो अर दूध पावो । म्होटा करो।" __ताहरां दूसरे दिन फोजदार हसार आयो। ताहरां फोजदार सैद नासर दोनू बाळकानू आपरी बीबीनू सापिया अर कह्यो-'जु हम दो लडके लाये है, सो इनको तुम पाळो।' ताहरां दोन बाळकांन बीबी पाळिया । लड़का वरसै १० तथा १२रा हुवा। ताहरां हांसी सेखन सांपिया।' तद कितरैके दिनां सैद नासर फोत हुवो। तद सैद नासररा बेटो अर दानू पुतरेला पातसाह लोदी पठाण, नाम बहलोल, तैरी नजर गुदराया ।' ताहरां सैद नासररा बेटा पातसाहरी नजर उसड़ा न आया अर प्रो चहुवाण नजर आयो । तेरो नाम क्यांमखान हुवो, सु ईयैनू सैद नासररो मुनसब हुतो सु दियो ।11 पर जाटरो नाम जेनू हुतो, तैरा जेननदोत कहाया, सो जूझणूं-फतेहपुर I दरेरेके निवासी चौहानोके ऊपर हिसारका फौजदार सैयद नासिर चढ कर पाया। 2 तव दरेरेको लूटा और वहाके लोग सब भाग गये। 3 उस समय दो बालक पालनेमे रह गये। उनमेसे एक चौहानका था और एक जाटका। 4 फिर उन दोनो वालकोको फौजदारकी नजर पेश कर दिया। 5 हुक्म किया कि हाथीके महावतके सुपुर्द कर दो और दूध पिलानो। पालन-पोषण करो। 6 तब फौजदार सैयद नासिरने दोनो वालकोको अपनी बीबीके सुपुर्द कर दिया। 7 तब हासीके शेखको सुपुर्द कर दिया। 8 तव कितनेक दिनोंके बाद सैयद फौत हो गया। 9 तव सैयद नासिरके बेटे और इन दोनो पोपित पुत्रोको पठान-वादशाह बहलोल लोदीकी नजर पेश किया। 10 सैयद नासरके वेटे वैसे (योग्य) नजरमे नही पाये और यह चौहान नजरमें चढा। II उसका नाम क्यामखान दिया गया और सैयद नासिरका जो मनसब था वह इसे दे दिया ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304