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मुहता नैणसीरी ख्यात माहै केहेकि रहै छ।' अर पातसाह थोड़ो बीजांन पण दियो।' अर क्यांमखांनन हसाररी फोजदारी दीवी। तद ईयै दीठो-'जु कोइक रहणनू ठिकांणो की तो भलो। ताहरां जूझणू आछी दीठी।' ताहरा चोधरीनू तेडियो ।' कह्यो-चोधरी ! तू कहै तो म्हे ठिकाणो रहणनू करा।" ताहरां चोधरी बोलियो-'भला, ठोड़ वोवो, पण म्हारो नाम रहै त्यु करीज्यो। ताहरां कह्यो-'भला ।' ताहरां चोधरीरो नाम जूझो हुतो, सु तिकैरै नाम जूझणू वसायो।' अब जू झणू माहिली होज धरती काढनै फतेहपुर वसायो, नै झै भोमिया थका रहै ।10
पछै कितरैहेके दिनां अकबर पातसाह माडण कूपावतनूं जूझणू जागीरमे दीवी हुती।11 अर फतहपुर इण जूझणू माहिली हीज हुती सु फतेहपुर गोपाळदास सूजावत कछवाहैनू दीवी हुती सु भोमिया थको रहतो । मुकातो देतो। सु पर्छ जहागीर पातसाहरो चाकर हुवो। सु पहला तो समसखां जूझणू चाकर रह्यो नै पछै अलम[फ]खांरै
रह्यो।
1 और जाटका नाम जेन था, इसके वशज जेननदोत (जैनदोत) कहाये, सो जूझन फतहपुरके प्रदेशमे कहीक रहते हैं। 2 और बादशाहने (उस का भाग) थोडा दूसरोको भी दिया। 3 और क्यामखानको हिसारकी फौजदारी दी। 4 तव इसने देखा कि कही रहने के लिये कोई ठिकाना अपने लिये भी किया जाय तो ठीक हो। 5 तव इसको जूझनू मच्छी लगी। 6 तव चौधरीको बुलाया। 7 चौधरी । तू कहे तो हमारे रहने के लिये कोई ठिकाना यहाँ बनायें। 8 अच्छी बात है, अपने लिये ठौर बना लो, परन्तु उसमे मेरा भी नाम रहे ऐसी बात करना। 9 चौधरीका नाम जूझा था सो उसके नाम पर जूझणू गाव वसाया। 10 अव जूझणू ही की धरतीका कुछ भाग निकाल कर फतहपुर वसाया और उसमे ये भोमियेकी हैसियतमे रह रहे हैं। II पीछे कितनेक दिनोके वाद अकवर बादशाहने माडण कूपावतको जूझनूं जागीरमे देदी थी। 12 और फतहपुर इस जूझनमे से ही था जिसको कछवाहा गोपालदास सूजावतको दे दिया था सो भोमिया बना हुआ रहता था। 13 सो पहले तो जूझणू मे शम्सखाका चाकर रहा और फिर अलफखाके यहाँ रहा ।
*यह अलफखा मभवत प्रसिद्ध कदि न्यामतखां उपनाम 'जान कवि'के पिता फतहपुर (शेखावाटी) क्यामलानी नवाब हो। जान कविका क्यामला रासा' क्यामखानियोंके
(शेष टिप्पणी २७५ पर)