Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 03
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 293
________________ मुहता नैणसीरी ख्यात लड़ाई हुई । सात-वीस रजपूतांस रामचंद ई दो खेत रह्यो । 2 2 3 ताहरां श्राचानण श्राप सांगमरावजीसू श्राय मुजरो कियो ने कह्यो - 'राज ! हाथ थांहरो छै । देह ईंदैरी छै ।' ताहरां प्राचानण हाथ जीमणो काट सांगमरावजीनू दीन्हो अर आप रांमचंद ईंदै साथै सती हुई । 4 पछै सांगमरावजी कुंडळ ऊपर चढिया ने कहायो - 'जु म्हांरो वछेरो देश्रो ।' ताहरां विसनदास वछेरो टीकै दियो । श्रर बीजी छोटी वहन हुती सु सांगमरावजीनू परणाई | 6 [ २८५ पछै विसनदास वीसळदेजी पासै चाकरीनू गयो । ताहरां वीसळदेजो विसनदासन कह्यो - 'लांणत छै थाने ! सागमराव थांमें घणी कीवी । ” ताहरां विसनदास कह्यो - ' राज । पहुच सगा नही ।" ताहरां राजा वीसळदेजी कह्यो - 'फोज हूं देईस । " 18 9 ताहरां विसनदास फोज लेअर वहीर हुवो 20 सांगमरावजी तो कुडळ मांहै सासरे हीज हुंता । 11 ताहरां कुडळरा लोकां कुडळरा दरवाजा विसनदास रे कहे खोल दीन्हा । ताहरां सांगमरावजीसू लडाई हुई ताहरां सांगमरावजी घोड़ी वाढी अर आप काम प्राया । " " विसनदास सागमरावजीनूं कूड़ कर मारिया | 23 12 14 ता पछै सांगमरावजीर् वे मूळ वीस देजीस वैर कियो । हेक पुकार रोज पाटण दोळी वीसळदेजीर काने पड़े । वीसळदेजी फोजा घणी ही मेल्ही, पण मूळ हाथ प्रावै नही । 1 एक सौ चालीस राजपूतोके साथ रामचद ईदा खेत रहा ( मर गया ) 1 2 तव श्राचानरणने आकर सॉंगमरावको मुजरा किया । 3 ( पाणिग्रह तुमारे साथ किया था इसलिये) हाथ तुमारा है । 4 दाहिना । 5 और 1 6 विमनदासने प्राचानकी छोटी वहिन थी जिसे सागमरावके साथ व्याह दी और बछेरा टोकेमे दे दिया । 7 मागमरावने तुमारेमे वट्टत विताई, तुम्हे लानत है । 8 श्रीमान् | मैं उनसे पहुँच नही सकता । 9 सेना मैं दूगा । 10 विसनदास सेना लेकर रवाना हुआ । II सागमरावजी तो अपनी ममुराल कुडलमे ही थे । 12 तब सागपरावजीने अपनी घोटीको काट दिया और स्वयं काम श्रा गये । 13 विसनदासने नागमरावजीको धोखेने मारा । 14 एक न एक पुकार हमेशा पाटण मे वीसळदेजीके कानो गुनाई पढनी रहे। 15 वीमलदेजीने अनेक बार फौजें भेजो ।

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