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॥ श्रीरामजी ॥
जोधपुररा राजाआरी ख्यात महाराजा श्री भीमसिघजी रावळोतारा दोहीतरा। भोमसिंघ, किसनसिंघ सादूळसिघोतरा दोहीता।'
महाराजा श्री विजयसिंघजी भाटियांरा दोहीतरा । दौलतसिंघ गजसिंघोतरा दोहीतरा।
महाराजा श्री वखतसिंघजी चहुवांणांरा दोहीतरा। चत्रभुज दयाळदासोतरा दोहीतरा।'
महाराजा श्री अजीतसिंघजी जादवांरा दोहीतरा। जादव भीमपाळ छत्रमणोतरा दोहीतरा । मांजोरो नाम पोहपकंवर ।
I महाराजा भीमसिंहजी रावलोत भोमसिंह किशनसिंह सादूलसिंहोतके दोहिते थे ।
महाराजा भीमसिंह महाराजा विजयसिंहके पौत्र और उनके उत्तराधिकारी भी। इनकी मृत्यु वि० स० १८६० कार्तिक सुदि ४ को हुई ।
2 महाराजा विजयसिंह भाटी दौलतसिंह गजसिंहोतके दोहिते ।
ये महाराजा परम वैष्णव थे। जोधपुरका विशाल गंगश्यामजीका मन्दिर और गिरदीकोट इन्होने बनवाये थे । इनकी पासवान गुलाबरायने बहुत ही भव्य श्री कु जविहारीजीका प्रसिद्ध मन्दिर और उसका फटला बाजार, गुलाब सागर, महिला बाग और उसका झालरा (चारो ओर सीढियों वाली वापिका) आदिका निर्माण कराया था। विजयशाही मुद्रा इन्ही महाराजाने चलाई थी। इनका, जन्म वि० सं० १७८६ मार्गशीर्ष कृष्णा ११, राज्यगद्दी वि० सं० १८०६ और मृत्यु स० १८५० आषाढ वदि १४ को हुई। 3 महाराजा बखतसिंह चौहान चतुर्भुज दयालदासोतके दोहिते ।
इनका जन्म सम्वत् १७६६ की भादी वदि ८ को और मृत्यु सम्वत् १८०६ भादौ सुदि ११ को हुई थी । जोधपुर और नागौरमे इन्होने अपने नामसे 'बखतसागर' नामके तालाब वनवाये थे।
4 महाराजा अजीतसिंह यादव भीमपाल छत्रमणोतके दोहिते। इनकी माजीका नाम पोहप कंवर (पुष्प कुंवरि) था।
. जन्मसे मृत्यु पर्यन्त इनका जीवन और राज्यकाल बडा प्रशान्त रहा । युवा होने तक वीर दुर्गादास जैसे स्वामी-भक्त सरदारोकी देख-रेखमे इन्हें गुप्त रहना पडा । ये महाराजा वडे ही वीर-विद्वान और कवि थे। गुणसागर, गजउद्धार और गुण दोहे आदि इनके रचे हुए ग्रथ हैं । इनके सम्बन्धमें बने 'अजितोदय' और 'अजित प्रथ' भी है। मरुनायकजीका मदिर पंच देवलिया, मडोरमे इकथभिया महल. वडी-बडी मूर्तियो वाले देवतायोकी शाला प्रादि कई दर्शनीय स्थान इन्होने बनवाये । इनकी मृत्यु के ममय इनके साथ रानिया, दासिया और ५७ स्त्रिया सती हुई थी। इनके दाह-स्थान पर मडोरमे बना विशाल घडा (देवल) वास्तुविद्याका एक नमूना है।