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अथ जेसलमेररी ख्यात
१. रावळ मूळराजजी सोढारा दोहीतरा । रिणछोड गंगादासोतरा | 2
२. प्रसिघजी १ बुधसिंघजी २ जोरावरसिघजी ३, दोहीता खाबडियारा | 2
३ जगतसिंघजी १, ईसरीसिंघजी २,
दोहीता सोढांरा ।
४. जसवंतसिंघजी १, पदमसिंघजी २, जैसिंघजी ३, विजैसिंघजी ४, दोहीता सोढारा |
५. जूझारसिंघजी दोहीता हळोदरा झालारा।
६ अमरसिंघजी १, रतनसिंघजी २, बाकीदासजी, ३ महासिघजी ४, दोहोता रूपनगर । *
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७. सवळसिंघजी १, विहारीदासजी २, दोहीता कलै रायमलोतसमियांणैरा ।
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सगतसिंघ ४,
८. दयाळदास १, पचायण २, ईसरीसिघ ३, वाघ ५, दोहीता सातळमेररा ।'
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६. खेतसी १, हरराज २, भानीदास ३, डूगर ४, सहसो ५,
नारायण ६,
७।
१० मालदेजी १,
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११ लूणकरणरै दूजा भाई मरोट । सरब भाई ११ मूळराजसू पीढी तीन जगतसिंघ रावळरा भाई हुना' - सरदारसिंघजी ३, तेजसिंघजी ४, दोहीतरा जसोलरै रावळरा ।
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6 दयालदास,
रावल मूलराज सोटा रणछोड गंगादासोतका दोहिता । 2 सिंह वुधसिंह श्रौर जोरावरसिंह तीनो खावडियो के दोहिते । 3 जुझारसिंह हलवद (सौराष्ट्र) के झालोका दोहिता । 4 प्रमरसिंह, रतनसिंह वाकीदास और महासिंह रूपनगर वालोके दोहिते । 5 सवलसिंह और विहारीदास सिवाना के कल्ला रायमलोत के दोहिते । पचायन ईश्वरीमिह सगतसिंह और वाघ ये सातलमेर वालोके दोहिते । 7 लूणकरण के दूरे भाई मरोठ रहते हैं। सभी ११ भाई हैं । 8 मूलराजते जगतमिह तक तीन पीढी तक जो रावन हुए वे मूलराजके भाई ही हुए थे । 9 सरदारसिंह और तेजसिंह जसोल रावल के दोहिते ।