Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 03
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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मुंहता नेणसीरी ख्यात
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ताहरां हमीर दहियो तिको भोजनूं कहै – 'तोनू मारियो । दूदा आगे टिक सगँ नही । दूदो तो काळ । दूदो तोनू गिणिया दिनामे मारसी ।" ताहरां भोज कहियो - ' तो हमीरजी । हूं कासू करू ? 12 ताहरां हमीर कहियो - 'तू अकबर पातसाह श्रागै जाह ।' ताहरां भोज कहियो-'रूडां, थे कहियो सुहू जाईस । पण मोनू खरच जुड़े नही ।" ताहरां हमीर कह्यो - 'हूं लाख रुपिया देईस यांनू । ताहरा हमीर दहियै लाखेरीरा वोहरा कना लाख रुपिया पटू होयनै देराया । "
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पछै भोज अकबर पातसाह कर्न गयो । सीकरी - फतेहपुर अकबर पातसाह हुतो, तेथ भोज गयो ।' ताहरां वांसैसू दूदैनू खबर हुई - 'जु भोज पातसाह कनै गयो ।' ताहरा दूदो डकरियो' - 'भोजनू मारूं । पातसाहरै दरबार विचै मारू ।' ताहरा वांसैसू दूदो ही सीकरी - फतेह - पुर गयो । जायन हेरो करायो । 10 ताहरां हेरै" कह्यो- 'म्हां हेरियो
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छै । " वागो घोडो हेरियो छे
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। इसडो वागो ईयै रंग घोड़ो भोजनू चटणनू छै । 24 कह्यो - 'रे ! चोकस करें । 15 कह्यो - 'जी, म्हे चोकस कियो छै । 26
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ताहरां भोज दरबारनू वागो पहर तयार हुवो । घोड़ो प्रांण हाजर कियो । " जाहरां भोज घोड़े प्रसवार हुवण लागो, ताहरां घोड़ो धूजियो । 28 ताहरां जोगो गौड़ बोलियो - 'दीवांण ईयै घोड़े प्रसवार न
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पास । 7 अकबर
तेरेको मार दिया । दूदाके श्रागे तु नही टिक सकता । दूदा तो तेरा काल है । दूदा तुझको गिने दिनोंमें मार देगा । 2 हमीरजी । तो में क्या करू ? 3 तब भोजने कहा – 'अच्छी बात है । तुमने कहा तो मैं जाऊगा, परन्तु मेरेको खर्च नही जुडता (खर्च करनेको मेरे पास पैसे नही हैं ) । 4 मैं तुमको लाख रुपये दूगा । 5 तब हमीर दहियेने जामिन होकरके लाखेरी के वोहरा के पाससे लाख रुपये दिलवाये । बादशाह फतहपुर सीकरी मे था वहा भोज गया । 8 पीछे से । हुआ । ( २ ) क्रोधित हुआ । (३) गुर्राया । II गुप्तचर । 12 हमने जांच कर ली है । है । 14 ऐसा वागा श्रीर इस रगका घोडा भोजके चढनेको है । IS | चौकस पता लगाना । 16 मैंने चौकस (ठीक) पता लगा लिया है । 17 घोडा लाकर हाजिर किया । 18 तब घोडेको कँपनी हुई । ( सवारी करते समय घोडेका कापना अपशकुन समझा जाता है और प्रस्थान रोक लिया जाता है ) |
9 ( १ ) भयभीत 10 जाकरके गुप्त रूप से खबर कराई ।
3 वागा और घोड़े का पता लगा लिया

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