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मुहता नैणसीरी ख्यात सेतरामजी पण हुअा।' सु कठक जावता सूअररो सिकार हाथ
आयो । सु केई केहि पास सूअरा वांस दिया, केई केहि पास हुआ । सेतरामजी एकै सूअर वास घोडो दियो । सो सूअर कठे ही जाय नीसरियो । जठे' हाथियारो वन हुतो अर रात पडण लागी । ताहरा सेतरामजी एके रूख चढि वैठ रह्या छ अर घोडो रूख हेबाधियो हुतो", सु सीह खाय गयो । ताहरा प्रभात हुयो । ताहरा सेतरामजो विचारियो-'जु घोड़ो तो नही अर डील मे भारी सु पाळा चालियो न जाय । ताहरां मन मे विचारियो-'जु एकै हाथी चढ अर जावां ।' ___ ताहरा सेतरामजी एकै नाळेररै रूख चढि पर बैठा छ ।' तितरै एक वडो हाथी आय नाळेररै रूख नीचे नीसरियो । ताहरां सेतरांमजी उठसू धमक अर प्राय हाथी चढिया । ताहरा हाथी क्यु जोर करण लागो। ताहरा सेतरामजी दोय कटारी वाही तैसू सूधो हुयो । सु हाथो लियां-लिया सहर पाया । ताहरा सेतरामजी राजारी हजूर पाया। ताहरां हाथी लोहीसू ववाळियो राजा दीठो।” तद राजा पूछियो । कहियो-'यो कासू ?' ताहरा सेतरामजी कह्यो'जु सूअर तो नीसर गयो पर इण भांत रात वनमे रह्या । सु घोडो तो सिंघ मार गयो । ताहरां म्हे पाडो पकड अर चढ पाया।18 'ताहरा राजा वळे बहोत महरवान हुयो ।
I सेतरामजी भी साथ हो गये। 2 सो कही एक दूर जाते सूअरका शिकार हाथ पाया। 3-4 सो कईयोने किसी (एक) ओरसे और कईयोंने किसी (दूसरी) पोरसे सूपरो के पीछे अपने-अपने घोडे दिये। 5 सेतरामजीने भी अपना घोडा एक सूअरके पीछे दिया। 6 सो सूअर तो कहीं जा निकला। 7 जहाँ। 8 वृक्ष। 9 नीचे। Io था। II सो सिंह खा गया। 12 घोडा तो है नही और खुद शरीरमे भारी इसलिए पैदल तो चला नहीं जा सकता। 13 तब सेतरामजी एक नारियलके वृक्ष पर चढ कर बैठ गए हैं। 14 तब सेतरामजी उस परसे कूद कर हाथी पर सवार हो गए। 15 सेतरामजीने कटारीमे दो प्रहार किए जिससे सीधा हो गया। 16 मो हाथीको लिये लिये शहरमे पाये। 17 तब राजाने खूनसे लथ-पथ हाथीको देखा। 18 तव हम इस पाडेको पकड कर चढ पाये। 19 पुन ।