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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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प्रो रोज नवी नवी जायगा बरछी खो है सु आगणा में वेडा - वेडा हुय रह्या 12 ताहरा रांणी एक दिन सात तवा लोहरा, सवा-सवा मणरो एक-एक तवो, कराय पर जठै सेतराम प्राय बैसतो तठे गचमें तवा गडाया । ऊपर विछावणा विछाया ।" ताहरा प्रभातरा सेतरामजी राजाजीरी हजूर मुजरे या ताहरां वैसतां बरछी दावी ज्यु भूय करड़ी लखाई, ताहरां जोर कर दाबी, सु बरछी हाथ दोय गडी । ताहरां सेतरांमजी मनमे जाणियो- 'आज तो बरछी बळ करायो । 14 पर्छ सेतरांमजी बैठा । ताहरा राणी जाणियो- 'जु तवा तो फोडिया पण बरछी काडसी किसी भांत ? पर्छ सेतरांमजी कित रीहिक जेजसू बोहडण लागा; बरछीनू हाथ घातनै ज्युं खांची सु तवा साते ही साथै आया बरछीरै ।" प्रांगणो पण खुल गयो अर विछायत पण ऊपडी । ' ताहरा राजा कह्यो - 'प्रो कासू ? ताहरां सेतरांम कही - 'महाराज ! हूं बैठतो तठै बरछी गडती, सु दीसै छे आज कोई म्हारी मसकरी कीवी छै ।" तद राजा विछावणा परहा कराय देख तो कासू ? सारे ही वेडा-वेडा छै । 10 ताहरा राजा बहोत महरवान हुआ । वडो कारण कियो अर रिजक पण वडो कर दियो 111
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अठै सेतरांमजीरो पण एक जुदो ही राज हुआ। 12 ताहरां यु करतां राजा एक दिन सिकार चढियो सरव साथ लेयर 123 साथै
I यह नित्य नई-नई जगहोमे वर्धी घुसेडत । है सो श्रागनमे खड्डे ही खड्डे हो रहे हैं । 2 तव रानीने सवा-सवा मनके लोहे के सात तवे करवाये श्रौर जहाँ सेतराम श्रा करके बैठा करता था वहा गच के अदर तवे गडवा दिये श्रौर ऊपर बिछौने विछवा दिये । 3 प्रभातके समय जव सेतरामजी राजाजीकी हजूरमे मुजरा करनेको प्राये तच बैठते हुए वछको दबाया सो भूमि कठिन मालूम हुई, तो जोर करके दबाया सो वर्धी दो हाथ गहरी गड गई । 4 आज 'तो बछने जोर मागा है । 5 तवे तो फोड दिए परन्तु वर्धी निकालेगा कैसे ? 6 कितनी देरके बाद जब सेतरामजी लोटने लगे तो बछको हाथ डाल कर ज्यो खींचने लगे त्योही बके साथ सातो तवे उखड़ श्राये । 7 प्रांगन खुल गया भोर विछायत भी साथ की साथ उठाई | 8 यह क्या ? 9 महाराज | जहाँ मैं बैठता था वहां वर्धी गड जाया करती थी सो श्राज ऐसा मालूम होता है कि किसीने मेरी मजाक कर दी है । IO तव राजा विछायतको दूर करके क्या देखता है कि सभी जगह खड्डे हो खड्डे बने हुए हैं । वडा सम्मान किया श्रोर जीविका भी वढा दी । 12 यहा सेतरामजीका भी एक अलग राज्य कायम हो गया । 13 एक दिन राजा सभीको साघमे लेकर शिकारको चढ़ा ।