________________
२१० ]
मुहता नैणसोरी ख्यात २. प्रेमकंवरजी।
२. जैमाळा (अजमाळा) ३. लूग कंवरजी (लवग ३. बुधराय । कंवरजी)
४. कांमसेना। ३. खवासां तीन ३
५. रगराय ।
६. पदमावती। २..........
७. सुघड़राय। ३. ... ...।
८. मांणवती (भाणवती, १. ओळगण' एक
भानुमती) १. पोहपराय ।
६. रूपमंजरी। १०. पातरियां १०
१०. रगमाळा। १. जीऊ (जीवी, जीवू) महाराजा श्री रायसिंघजीरै सतियां, समत १६६८ में हुई३. राणियां तीन ३
३. पातरिया तीन ३१. तुवरजी द्रोपदा।
१ रगराय। २ सोढी मांणवदे
२. नैणजवा (नैणजीवा) (भाणवदे, भानुदेवी) ३. कामरेखा। ३. भटियाणी अमोलकदे। महाराजा श्री सूरसिंघजीरै सतिया, समत १६८८ मे हुई - २ राणियां दोय २-
२. पातरियां दोय१ भटियाणी मनरगदेजी। १. रंगरेखा। २ रांणी रतनावतीजी।
२. गुणकळी । महाराजा श्री करणसिंघजीरै सतिया, संमत १७२६ मे हुई - ८. राणियां ८ आठ
अजबदेजी। १. भटियाणी धनराजोत २. जेसळमेरी सिणगारदेजी।
I (१) ढोली या ढाढी जातिकी गाने वाली स्त्री। ढोलिन, ढाढिन । (२) गायिका । 2 वि० स० १६६८ मे महाराजा श्री रायसिंहजोका देहान्त हुया तब इतनी सतियें हुई । 3 महाराजा श्री सूरसिंहजीकी मृत्यु वि० सं० १६८८ में हुई तब उनके पोछे इतनी सतियें हुई। 4 वि० सं० १७२६मे महाराजा श्री कर्णनिहजीकी मृत्यु हुई तव उनके साथ इतनी स्त्रियां जल पर सती हुई ।