________________
२०२ ]
मुहता नैणसीरी ख्यात
3
4
ताहरा राजा सेतरामजीनू कही - 'जु वडा राठोड़ ! ते कीवी जिसी तू हीज करें । पण हमे बीजो तोनू कासू देऊ ? म्हे तने म्हारी बेटी दीवी ।" ताहरां सेतरांमजी ऊठ सलांम कीवी । अठै सेतराम - जीरा घाव साजा कर अर आपरा किलेदार बैठाय, अर राजा नै सेतराम श्रपरे घरे सहर आया । ताहरां राजा सेतरांमजीनू भलीभांत परणायो । आधो राज दियो । वडो दायजो दियो । घोड़ा, हाथी दिया । ताहरा सेतरांमजी मास १ अठै रह्या । ताहरां वै राजा सेतरांमजीनू तेडायो । '
8
9
ताहरां सेतरांमजी सुसरेनू कही - 'महाराज ! हमे मोनूं विदा दीजै । म्हने राजा बोलायो छे । चाकर हूं उवांरो छू ।"" ताहरा राजा जवाईनू-बेटीनू विदा दीवी । 12 सेतरामजी हलांणो लेअर उवै राजा पास आया । " ताहरा राजा सांम्हां जाय ले आयो, अर वडी मनुहार कीवी । ताहरां राजा कह्यो - 'थां कीवी जिसी थांसू ही है।'
13
14
15
16
18
ताहरां सेतरांमजी अठे रहे छै । अर एक भोमियो धाड़े दोड़ियो' सुई " सहर आयो । आयनं सहररो वित घेरियो । 28 ताहरां खबर हुई - 'जु भोमियो सातवीसी असवारांसू आयो ने सहररो वित लियो ।19 ताहरां सेतरांमजी एकल सवार वांस चढ दोड़ियो । १° नै वांस राजा पण वाहर चढियो । ताहरां पहली कटकनू सेतरांमजी
20
1 तव राजाने सेतरामजीको कहा - बड़े राठोड ! तूने श्राज जो किया है वैसा तो तू ही कर सकता I 2 परन्तु इसके वदलेमे में तुझे और क्या वस्तु दू ? मैंने तुझे अपनी पुत्री दी । 3 तब सेतरामजीने उठ कर सलाम की । 4 यहां 5 ठीक, अच्छे, स्वस्थ | 6 अपने 1 7 विवाह किया। 8 बहुत दहेज दिया । 9 तव उस राजाने सेतरामजीको बुला लिया । 10 महाराज ! अव मुझे जानेकी श्राज्ञा दीजिये, मुझे राजाने वुलवाया है । II मैं उनका चाकर हूँ । 12 तत्र राजाने अपने दामाद और वेटीको रवाना किया | 13 सेतरामजी अपनी वबूको लेकर उस 14 तव राजा सामने जाकर ले आया और बढ़ा सत्कार किया । 15 तुमने जो विलक्षण शूर-वीरताका काम किया है, वह तुमसे ही हो सकता है | 16 एक भोमिया लूट-खसोटके लिए दोडा । 17 इम । 18 आकरके शहरका गोधन घेर ले गया । 19 कि भोमिया सात-वीसी (१४०) सवार के साथ श्राया और केला मवार होकर पीछे दोडा ।
राजा के पास आये ।
शहरका गोवन ले लिया है ।
20 तब सेतरामजी