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मुहता नैणसीरी ख्यात
[ १६६ ताहरा तो अठै रहै छै ।' अर ईयै राजारो भाई सो दूसरै सहररो धणी । सु तेरो बेटो परणीजण कठक गयो हुतो सु हलांणो लियां पावतो। सु वीच आवतां महळरो डोल वेचाक हुो । ताहरां एकै सहर आय मुकाम कियो । ताहरां कुवर सहररै राजानू कह्यो'जु थाहरै कोई वैद हुवै तो मेलो। ताहरा राजारै नाई वैद हुतो, तियेनू राजा कुवररै डेरै मेलियो । ताहरा कुंवर नाईनू' भीतर ले गयो । आगै तम्बूरो कोटडी माहै महळ सूतो हुतो। ताहरां पड़दैसू हाथ बाहिर काढि अर नाड़ दिखाई । ताहरां नाई हाथ देख अर थकित हुओ।' विचारो-'जु जैरो ओ हाथ छै तो रूपरी निधान हुसी।10 ताहरां नाई तो नाड देख, ओखद वताय अर घरै आयो।11 ताहरा मास एक कुवर अठै रह्यो । महळ चाक हो । ताहरां नाईनू घोडो सिरोपाव दे विदा कियो।
ताहरा नाई राजारी हजूर गयो । ताहरां राजा पूछियो। कह्यो'रे ! आयो ?14 ताहरा नाई कह्यो-'महाराज ! आयो तो सही, पण कुवररै महळ छै तैसो आज कहीरै नही । वडा वखांण किया । तद राजा कही-'तो कही भात आपण ही हाथ आवै ?17 ताहरा नाई कह्यो-'राज ! कुवरनू मारने लेवो तो हाथ आवै।'
तद राजा अठसू19 चढ अर कुवररै डेरे पायो। ताहरां राजा कहियो-'जु कुवरजी ! राज प्रभात माहरी महमानी जीम पर चढो।20"
____ I यह तो यहाँ रह रहे है। 2 इस। 3 सो उसका बेटा कही शादी करनेको गया था सो वधूको ले करके पा रहा था। 4 सो पाते रास्तेमे वधू बीमार हो गई। 5 तुमारे यहां कोई वैद्य हो तो भेजिए। 6 राजाके पास एक नाई वैद्य था उसे राजाने कुंवरके डेरे पर भेजा। 7 नाईको। 8 तवूफी एक कोटरीमे स्त्री सोई हुई थी। 9 नाई हाय देख कर चकित हो गया। 10 जिसका यह हाथ है वह रूपकी तो निधान होगी। II तब नाई नाडी देख और प्रौषधि बता कर अपने घर पर पा गया। 12 स्त्री स्वस्थ हो गई। 13 तव नाईको घोड़ा और सिरोपा देकर विदा किया। 14 अरे ! आ गया । 15 महाराज ! ा तो गया ही हू , परतु उस कुवरकी जो स्त्री है ऐसी रूपावान स्त्री आज किसीके नही। 16 उसके बहुत बखान किए। 17 किसी प्रकार अपने हाथ वह लग सके ? 18 मार कर। 19 यहाँसे। 20 कुवरजी । पाप कल प्रभातमे हमारा मातिथ्य स्वीकार करें और भोजन करके रवाना होएं।