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मुहता नैणसीरी ख्यात १६. पाटड़ी झाला।
२८. कपडविणज डाभी । १७, करनेचगढे बूर ।
२६. हथणापुर कौरव। १८. कळहटगढे कागवा । ३०. मगरोपगढे मकवाणा।' १६, भूभळियागढे जेठवा । ३१. जूनगढ जादम । २०. नारगगढे रहवर ।
३२. थोहरगढे कछवाहा । २१. लोहवैगढ बूया।
३३ लुद्र भाटी। २२ ब्राह्मणवाडै वारड़ ।' ३४. कच्छ देसे स्यांमा ।। २३. जायलवाडै खोची ।
३५ सिंध देसे जांम । २४. वसहीगढे खरावड ।" ३६. अजमेरगढे गोड। २५. रोहितासगढे डोड ।' ३७ धाट देसे सोढा ।13 २६. हिरमजगढे हरियड़
३८. देरावर दहिया। २७. दिलीगढे तुवर ।
I कागवा, परमारोकी एक शाखा। 2 जेठवा, प्रतिहारोकी शाखा है। 3 रहवर, सोलकियोकी एक शाखा। 4 वारड, परमारोकी एक शाखा। 5 खीची चौहानोकी एक शाखा। 6 प्रतिहारोकी एक शाखा। 7 परमारोकी एक शाखा। 8 डाभी, प्रतिहारोकी एक शाखा या प्रतिहारोका दूसरा नाम । (नैणसीने एक स्थान पर पाबूके अनलकुडसे उत्पन्न चार क्षत्रियोके नामोमें चौथा नाम पडिहारके स्थान पर 'डाभी'नाम लिखा है । (देखिये नैणसीरी ख्यात भाग १, पृ० १३४) कपडविणज, गुजरात के नडियाद जिलेका एक नगर है। नडियाद जकशनसे कपडविणजको एक रेलकी शाखा जाती है । अाजकल इसे कपडवज कहते है ।) 9 मकवाणा, झालाप्रोकी एक शाखा है। 10 यादव । IIस्यामा, श्रीकृष्णके पुत्र साम्बके नाम पर उसके वशज स्यामा (सम्मा) कहलाये। 12 जाम, यादवोकी एक शाखा । (जादम, स्यामा, जाम और भाटी-ये सब यादव है।) 13 सोढा परमारो की एक शाखा ।
पानान्तर-- भूमळियागढ । खरवड, खरवड, खराबड, खारावड । 'डोडा, डोडकाग।
हरमल, हिरमल, हरिमड । शुद्ध नाम 'तोमर' है। *होरघ, होरड, होरवं । कायोहरगढ, ऊपर स० ६ मे पा चुका है । एक प्रतिमें नरवरगढ पाठ है, अतः नरवरगढ पाठ ही उचित है।