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मुहता नंणसीरी ख्यात
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१७६ ] राजा हस राजा हरिवस राजा सिधा राजा मधु राजा धुझाळक* राजा बुध ईच' राजा माघ राजा उदयादीत राजा जगदेव राजा पातळसिघ राणो गुणराज रांणो लाखण रांणो जसपाळ राणो लखमसी' रावत कोदो रावत साघण
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रावत हमीर रावत हापो रावत महपो रावत राघवदास रावत करमचंद रावत पचायण राजा मालदेव राजा सादूळ राजा रायसल राजा जुझारसिंघजीरा भाई वखतसिंघजी ६१ ठाकुर जगरूपसिंघजी ६२ . ठाकुर सुरतांसघजी ६३ ठाकुर जैतसिंघजी ६४ ठाकुर केसरीसिंघजी ६५ ठाकुर माधोसिंघजी ६६
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I सिंधु। 2 घूम्रज्वालक । 3 उदयादित्य । 4 यशपाल। 5 लक्ष्मणसिंह ।
[आदि पुरुपसे ठाकुर माधोसिंह तक केवल ६६ पीढियें एक विचित्र-सी बात ज्ञात होती है। ख्यातके प्रथम भाग, पृ० ३३६ और पृ० ३३८ मे दो छोटी वशावलिये सोढो और साखलोसे सबध जोडने वाली और दी गई है, जो कोई किसीसे मेल खाती हुई प्रतीत नहीं होती। पिछली वशावलियें तोसे निकट जान पडती हैं।
पाठान्तर-- *अनूप सम्कृत लाइब्रेरी, बीकानेर की प्रतिमे 'राजा मालक' नाम लिखा है।
- - बुधईस । वाघ | जयदेव । 'पताळसिंघ, पीथळसिंघ । - - -